भारत बोली में आदिवासी हूं परिवार में इकलौती की बच्ची हूं न्याय के लिए राजभवन आई थी पर नहीं सुनी फरियाद

नेमावर नरसंहार के दोषियों को सजा दिलवाने नेमावर से भोपाल आई भारती कास्डे मंगलवार को राजभवन तो पहुंची, लेकिन राज्यपाल से नहीं मिल पाई। भारती ने बताया कि मेरे परिवार में इकलौती बची हं, गांव में मैं सुरक्षित नहीं हूं। इसलिए भोपाल के लिए 1 जनवरी को पैदल निकल पड़ी। क्या पता था कि 11 दिन की यात्रा के बाद मंजिल तक तो पहुंच जाऊंगी, लेकिन वहां भी मेरी फरियाद नहीं सुनी जाएगी। राज्यपाल के एडीसी ने मुझसे कहा कि कोरोना फैल रहा है, इसलिए राज्यपाल नहीं मिल सकते, आप ज्ञापन दे दीजिए, महामहिम तक पहुंचा देंगे। भारती ने बताया कि मैने 31 दिसंबर को राज्यपाल को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि मैं 200 किलोमीटर की पदयात्रा कर 11 जनवरी. को भोपाल पहुंच रही हूं। मेरे पूरे परिवार का नरसंहार कर दिया गया है, मैं भी आदिवासी वर्ग से हूं, आप भी उसी वर्ग से आते हैं कृपया मुझे न्याय दिलाएंगे। हालांकि भारती के साथ बाहर निकले कुछ साथियों ने राजभवन के बाहर राज्यपाल मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।

कांग्रेसियों को बीच में रोका

पीसीसी से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने न्याय यात्रा को राजभवन के लिए रवाना किया। भारती के साथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा को रेडक्रॉस के पास रोका। यहां से सिंह और वर्मा के साथ बस से भारती के साथियों को राजभवन ले जाया गया। सुरक्षाकर्मियों ने भीड़ को देखते हुए राजभवन में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। दिग्विजय ने कहा कि हम राजभवन में नहीं जाना चाहते। पर जो पीड़ित हैं उन्हें प्रवेश की अनुमति दी जाए, तब 10 लोगों को अनुमति मिली।

कांग्रेस की नारेबाजी निंदनीय

प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि राजभवन के सामने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और सज्जन सिंह वर्मा ने राज्यपाल पद की गरिमा को गिराने और प्रदेश के वातावरण को बिगाड़ने की कोशिश की है, जो निदंनीय है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रदेश के संवैधानिक शीर्ष पर बैठे राज्यपाल मंगुभाई पटेल के लिए कांग्रेस नेताओं की टिप्पणी मर्यादाहीन होकर निंदनीय है।

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