उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ने के साथ दल-बदल का खेल शुरू हो गया। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले सपा, बसपा और कांग्रेस से भाजपा में जाने का ट्रेंड था। इस बार शुरुआत भाजपा छोड़ने से हुई है। मंगलवार को दिल्ली में उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए भाजपा के बड़े नेताओं की बैठक चल रही थी। इसी बीच, सीएम योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। उनके साथ भाजपा विधायक बृजेश प्रजापति, भगवतीप्रसाद सागर और रोशनलाल वर्मा ने भी इस्तीफा दिया। बसपा से भाजपा में आए ये सभी अतिपिछड़ा वर्ग के हैं और सपा में शामिल हो सकते हैं। स्वामी ने दावा किया कि 10-12 विधायक और भाजपा छोड़ेंगे। इस बीच, खबर है कि दो और कैबिनेट मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं।
निवेशकों का भरोसा क्यों टूटा ?
सरकार को कंपनी ने 10 रु. के भाव पर शेयर दिए हैं। इससे निवेशकों का भरोसा डगमगाया। साथ ही कुछ अनिश्चितताएं भी पैदा हो गई हैं।
कैसी अनिश्चितताएं ?
सरकार सबसे बड़ी हिस्सेदार होगी, तो क्या वह बोर्ड में शामिल होगी? ऐसे कुछ सवाल हैं, जिन पर निवेशक चिंतित हैं। • सरकारी हिस्सेदारी से क्या इसका हश्र भी बीएसएनएल जैसा हो सकता है?
इसकी आशंका बहुत कम है। सरकार की कोशिश है
कि बाजार में कम से कम 3 निजी टेलीकॉम कंपनियां बनी रहे। इससे मोनोपली का खतरा नहीं रहेगा।