कोरोना की वजह से 2 साल से स्थगित हो रही जनगणना को अब 2031 तक डालने की तैयारी कर ली गई है सूत्र बता रहे हैं कि इस बारे में केंद्र सरकार आने वाले दिनों में घोषणा करेगी दरअसल को रोना के खिलाफ जारी टीकाकरण की वजह से केंद्र सरकार को टीका लगाने वाले 84.67 करोड़ वयस्कों की सटीक जानकारी मिल चुकी है अब 15 से 18 साल के किशोरों का वैक्सीनेशन शुरू हो रहा है इस पर सरकार को लगभग पूरी आबादी की संख्या का अंदाजा हो जाएगा इसलिए सरकार का मानना है कि जनगणना को 2031 तक डालने से कोई खास नुकसान नहीं होगा केंद्र सरकार ने जूरिस्डिक्शन फ्रिज करने का फैसला 30 जून 2022 तक टाल दिया है जनगणना तलने का यह सबसे बड़ा संदेश है इससे पहले इसके लिए 31 दिसंबर 2020 और फिर 31 दिसंबर 2021 की समय सीमा तय की गई थी जूरिस्डिक्शन फ्रीज करने का फैसला जनगण शुरू करने से 3 महीने किया जाता है इसके बाद किसी भी जिले ब्लॉक या गांव की सीमाएं नहीं बदली जा सकती जाहिर है कि अब जनगणना का फैसला होता भी है तो 2022 के आखिरी 3 महीने तक से पहले इसे शुरू नहीं किया जा सकेगा ऐसे में यदि नया टाइम फ्रेम जारी किया जाता है तो जनगणना के अंतिम आंकड़े 2027 से पहले जारी नहीं हो सकेगा अहम बात यह है कि यह आंकड़े 2031 तक ही मान्य रहेंगे इसलिए सिर्फ 4 साल के लिए राष्ट्रव्यापी कवायद करने का कोई खास औचित्य नहीं रहेगा सूत्रों की मानें तो टीकाकरण के अलावा डाटा इंटीग्रेशन से भी जनसंख्या के सही-सही आंकड़े सरकार को मिल रहे हैं जन्म मृत्यु पंजीकरण कानून में प्रस्तावित संशोधन से रास्ता और भी आसान हो जाएगा वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का ताजा प्रस्ताव भी जनगणना निदेशालय का काम आसान हो जाएगा ऐसे में करीब 12,695 करोड़ रुपए बच जाएंगे साथ ही 3000000 कर्मचारियों की दो-तीन साल चलने वाली कवायद बच जाएगी गृह मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने एनपीआर और एनआरसी का मुद्दा उठाते हुए यह सलाह दी थी कि जनसंख्या रजिस्ट्रेशन को अपडेट करने का काम आधार से मिले डाटा से किया जा सकता है इससे सियासी टकराव भी कम होगा।