तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान बेहद खराब स्थिति से गुजर रहा हैं यहां के लोग ना केवल सामाजिक स्तर पर, बल्कि आर्थिक स्तर पर बदहाली से गुजर रहे हैं आलम यह है की पैसों की मौत आज देश की जनता रोटी के लिए अपनी संतान तक को बेचने के लिए मजबूर हो गई है बेसहारा लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है पैसे की कमी के कारण लोग इस तरह के कई निर्णय ले रहे हैं संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में लाखों लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं 5 साल से कम उम्र के 32 लाख बच्चे कुछ और कुपोषण का शिकार है अफगानिस्तान के ‘वर्ल्ड विजन’ के राष्ट्रीय निदेशक असुंथ चार्ल्स ने बताया कि वह हेरात के पास विस्थापित लोगों के लिए स्वास्थ्य क्लीनिक चलाते हैं उन्होंने कहा कि आज मुझे यह देख कर बहुत दुख होता है कि कई परिवार दाने-दाने को मोहताज हैं परिवार के अन्य सदस्यों को खिलाने के लिए वे अपने बच्चों तक को भी बेचने को मजबूर हैं खबरों के मुताबिक पश्चिमी अफगानिस्तान में सूखे और युद्ध से विस्थापित लोगों की विशाल बस्ती में एक महिला अजीज गुल अपनी बेटी को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है उसके पति ने अपनी 10 साल की बच्ची को बिना उसे बताएं शादी के लिए भेज दिया ताकि इस से मिले पैसों से वह अपने 5 बच्चों का भरण पोषण कर सकें गुल के पति ने कहां की बाकी की जान बचाने के लिए उससे एक की बलि देनी पड़ी शिविर के एक अन्य हिस्से में चार बच्चों के पिता हामिद अब्दुल्ला भी अपनी कम उम्र की बेटियों को विवाह के लिए बेच रहे हैं क्योंकि उनके पास अपनी बीमार पत्नी के इलाज के लिए पैसे नहीं है जो जल्द पांचवे बच्चे को जन्म देने वाली है अब्दुल्ला की पत्नी बीवी जान ने कहा कि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था पड़ोसी बड़घिस प्रांत में एक और विस्थापित परिवार अपने आठ वर्षीय बेटे सलाउद्दीन को बेचने पर विचार कर रहा है उसकी मां गुलदस्ता ने कहा कि मैं अपने बच्चे को बेचने नहीं चाहती लेकिन हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है इसी तरह कई अन्य लोग भी मजबूरीवस अपनी संतान को बेचने की कोशिश कर रहे हैं।