आदिवासी समाज को महत्व ना देकर पहले की सरकारों ने किया अपराध

आदिवासी सचमुच में शिक्षित है अभी सीखना है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आदिवासी सचमुच में शिक्षित है और हमें अभी सीखना बाकी है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की हर बात को में तत्व ज्ञान होता है। पढ़े-लिखे और शिक्षित लोगों को भी उनसे सीखने की जरूरत है। मोदी जनजातीय गौरव दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे मोदी जब मंच पर आए, तब जनजातीय समुदाय के लोगों ने आदिवासी नृत्य के जरिए ठुमके लगाकर उनका स्वागत किया। इस दौरान वे गीत गीत गा रहे थे। उनके गीत में जीवन अहम सार छुपा था। मोदी ने अपने संबोधन में इसका जिक्र करते हुए वहां की जनजातीय समूह के लोग मंच पर गीत के साथ अपनी भावना प्रकट पर रहे थे। मैंने उन गीतों को समझने के लिए प्रयास किया। क्योंकि जीवन का महत्वपूर्ण कालखंड मैंने आदिवासियों के बीच में बिताया। तब मैंने देखा कि उनकी हर बात में कोई ना कोई तत्व ज्ञान होता है। वे अपने नाच-गान मैं, अपने गीतों में, अपनी परंपराओं में बखूबी प्रस्तुत करते हैं मैंने जब गीत के शब्दों को बारीकी से, अब पता चला कि उसमें उनके जीवन जीने का इरादा छुपा है।

वे अपने गीत में कह रहे थे कि शरीर 4 दिन का है अंत में मिट्टी में मिल जाएगा भूलाया। देखिए, आदिवासी हमें क्या कह रहे हैं। सचमुच में बैठे हैं और हमें सिखाना बाकी थे आगे कहते हैं मौज मस्ती में उम्र बी बीता दी, जीवन सफल नहीं किया। अपने जीवन में लड़ाई-झगड़ा खूब किया, घर में उत्पाद भी खूब किया। जब अंत समय आया, तो मन में पछताना व्यर्थ है धरती, खेत-खलिहान, किसी के नहीं है। देखिए, सेक्स आदिवासी मुझे क्या समझा रहे हैं धरती, खेत-खलिहान, किसी के नहीं है, अपने मान गुमान करना व्यर्थ है। यह धन-दौलत किसी काम का नहीं है। इसको यहीं छोड़ कर जाना है। इस संगीत में, जीवन का उत्तम तत्वज्ञान है, इससे बड़ी ताकत, विरासत और मुंजी किसी देश की क्या हो सकती है।

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