फ्रांस का यह कदम यूरोप में अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और अमेरिकी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों लंबे समय से यूरोपीय सामरिक स्वायत्तता की वकालत कर रहे हैं।
फ्रांस बनाम अमेरिका: रक्षा सौदों में प्रतिस्पर्धा
- F-35 vs. Rafale: अमेरिका के F-35 स्टील्थ फाइटर जेट को हटाकर राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती का प्रस्ताव यूरोपीय रक्षा उद्योग को मजबूत करने की कोशिश है।
- Patriot vs. SAMP/T: फ्रांस और इटली द्वारा विकसित SAMP/T एयर डिफेंस सिस्टम को अमेरिका के पैट्रियट सिस्टम की जगह तैनात करने का सुझाव दिया गया है।

क्या भारत की कोई भूमिका है?
भारत और फ्रांस के बीच मजबूत रक्षा साझेदारी है। भारत ने राफेल लड़ाकू विमान खरीदे हैं और दोनों देशों के बीच रक्षा उत्पादन में सहयोग बढ़ रहा है। ऐसे में फ्रांस की यह पहल भारत के लिए भी अहम हो सकती है क्योंकि इससे भारत-फ्रांस रक्षा गठबंधन को और मजबूती मिल सकती है।
यूरोपीय देशों पर असर
अगर फ्रांस की यह योजना सफल होती है, तो यूरोपीय देशों की अमेरिकी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता घट सकती है और यूरोप अपनी सैन्य ताकत को स्वतंत्र रूप से विकसित कर सकता है। हाल ही में जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों ने भी अपनी रक्षा नीति को अधिक आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया है।