आदिवासी क्षेत्रों में और संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने की पांचवी अनुसूची बनाई गई पांचवी अनुसूची के तहत आदिवासियों के अधिकारों की स्थापना के लिए 1996 पेसा कानून बनाया आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत वनवासियों को उनके जल जंगल जमीन पर अधिकार देने 2006 में अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी वन अधिकार मान्यता है

भारत संविधान का शासन है लोकतंत्र का शासन है लोगों का लोगों के लिए और लोगों के द्वारा हमारा संविधान इस धारणा पर आधारित है कि प्रत्येक वर्ष को अपने विचार प्रकट करने चाहिए पर क्या वास्तव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? परिवर्तन की इस युग में इस अवधारणा का सदा ही पालन नहीं किया जा सकता है यह जरूरी नहीं है कि जो बॉशन क्योंकि माननीय हो उसे राष्ट्र की भलाई ही हो आजादी का अर्थ हिंदुस्तान में आम लोगों की आजादी होना चाहिए उस पर हुकूमत करने वालों की आजादी नहीं करने वालों को सेवक बनना चाहिए और लोगों की मर्जी के मुताबिक संवैधानिक दायरों में काम करना होगा लेकिन आजादी नीचे से शुरु होनी चाहिए हर एक गांव में प्रजातंत्र या पंचायत का राज हो होना चाहिए उसके पास पूरी सत्ता और ताकत होनी चाहिए लेकिन आदिवासी का जीवन अजीब का संस्कृति पहचान परंपराएं जंगल नदी पहाड़ और प्रकृति पर निर्भर जीवन जीता है उसके जंगल में जीता है आदिवासी सदियों से जंगली जानवरों के साथ बनाकर रहता है

आदिवासी क्षेत्र में तांबा पीतल हेलो हाय क्यों की जा रही है शासन इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रही है आदिवासी क्षेत्रों में और संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने की पांचवी अनुसूची बनाई गई पांचवी अनुसूची के तहत आदिवासियों के अधिकारों की स्थापना के लिए 1996 पेसा कानून बनाया आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत वनवासियों को उनके जल जंगल जमीन पर अधिकार देने 2006 में अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी वन अधिकार मान्यता है इसके बावजूद कानूनों का उल्लंघन कर रही है किसी भी प्रकार से आदिवासियों की जल जंगल जमीन पर स्थापित कंपनियों के लिए जो अनुचित है हमें भारतीय वन 1927 का अधिनियम 2020 अधिनियम 1980 का नियम न्यू में स्पष्ट परिलक्षित होना चाहिए जो नहीं हो रहा है पेसा कानून के तहत मध्य प्रदेश सरकार सहित केंद्रीय सरकार भी आदिवासियों का संरक्षण नहीं कर रही है जो उसे करना चाहिए अनुसूची 5 और 6 लागुना करते हुए पेशा कानून बनाया गया है आदिवासी संरक्षित क्षेत्र में पेसा कानून के पेशा कानून के साथ आदिवासियों के हितों के लिए सरकार को ध्यान देना चाहिए जो फिलहाल में नहीं हो रहा है ऐसा ना हो ना यह प्रतीत होता है कि सरकार आदिवासियों के साथ धोखा कर रही है जो आने वाले समय में सरकार और कानून व्यवस्था को देखना होगा आदिवासी समस्याओं को लेकर सरकार और अदालत को संज्ञान में लेना चाहिए क्योंकि पर्यावरण संरक्षण जलवायु परिवर्तन जो आज की तारीख में हो रहा है वह जंगल में रहने वाले लोगों का अपमान है इसी वजह से पूरे विश्व में समस्याएं खड़ी हो रही हैं जबकि आदिवासी जल जंगल जमीन का संरक्षण कर रहे हैं?

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