“प्रतिदिन वह मौत को हथेली पर लेकर चलते हैं और मौत उनसे हारती है,’राजयोग का चमत्कार, मौत की हार

जिनको सभी चिकित्सकों ने सितंबर 93 में ही अवश्य मृत्यु हो जाएगी ऐसे कहा था वह आज भी मस्तिष्क में 100 ट्यूमर लिए जिंदा है। विज्ञान के लिए यह एक बहुत बड़ा चैलेंज है। यह बात हो रही है ब्रहमा कुमार सुरेंद्र जी की। 1992 में उनका सर दर्द और आंखों के सामने अचानक अंधेरा आने से नीमच में डॉक्टर के पास ले जाया गया। वहां से उनको उदयपुर तथा अहमदाबाद जांच के लिए भेजा गया। उस समय उनके ब्रेन में 9 ट्यूमर पाए गए। इस परिस्थिति में ऑपरेशन संभव नहीं था। इसीलिए 2 महीने तक चिकित्सकों ने अलग-अलग प्रकार के इलाज किया और जवाब दिया अब कोई इलाज नहीं हो सकता। फिर संस्थान की तत्कालीन प्रशासिका डॉक्टर दादी प्रकाशमणि जी के कहने पर डॉ अशोक मेहता द्वारा अमेरिका के चिकित्सकों की सलाह ली गई। उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए। दर्द बढ़ता ही जा रहा था।

परमात्मा की शक्तिशाली दृष्टि जब सुरेंद्र जी के ऊपर पड़ी तो उन्हें ऐसा लगा जैसे ब्रेन से पिघल कर कुछ निकल रहा है। फिर परमात्मा ने उनको गुलाब का फूल दिया और जैसे ही उनके सिर पर लगाया वैसे उनके अंदर शक्ति का संचार हुआ और वह उठकर खड़े हो गए। यह चमत्कार 5000 लोगों ने अपनी आंखों से देखा। उसके बाद ईश्वरीय शक्ति ही उनको चलाने लगी। 17 वर्षों तक उन्होंने स्वस्थ रहकर सेवाएं की। फिर जुलाई 2013 में ब्रेन स्ट्रोक का अटैक आया। जब सीटी स्कैन किया गया तो पाया गया बाएं और अनगिनत ट्यूमर के गुच्छे और दाएं और बड़ा ट्यूमर था। डॉक्टर्स ने कहा इनका मस्तिष्क कभी भी फट सकता है। यह सुनकर भी वह घबराएं नहीं। अपना आत्मविश्वास और मनोबल उन्होंने बनाए रखा। इसके बाद परमात्मा की शक्ति से रोज ढाई बजे उठकर उन्होंने राजयोग मेडिटेशन करना प्रारंभ किया तथा होम्योपैथी की दवाई और प्राकृतिक चिकित्सा लेने लगे। आज भी उनके मस्तिष्क में 100 से ज्यादा ट्यूमर है। प्रतिदिन वह मौत को हथेली पर लेकर चलते हैं और मौत उनसे हारती है। बैद्रद्यनाथ परमात्मा शिव को ही उन्होंने अपना चिकित्सक बना लिया है।

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