इसके साथ ही दोनों देश संस्थानों में सैन्य कर्मियों को अध्ययन कराते हैं। इस साल 300 से अधिक नेपाली सेना के 300 से अधिक कर्मियों ने भारत में आतंकवाद विरोधी, नेतृत्व विकास और शांति स्थापना जैसे विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त कियाअतीत में भारत सरकार ने नेपाल से कहा है कि वह गोरखाओं को अग्निवीर के तहत चार साल से ज्यादा का कार्यकाल नहीं दे सकता। नेपाल इससे सहमत नहीं है और उसने गोरखाओं को भर्ती में जाने से रोक दिया है। भारत में कई लोग गोरखाओं को छूट देने के पक्ष में हैं। मेजर जनरल अशोक मेहता (रिटायर्ड) ने ट्रिब्यून इंडिया से बात करे हुए कहा, ‘यह एक रणनीतिक भर्ती है। अगर भर्ती की पुरानी शर्तें नहीं रखी जा सकतीं, तो नेपाल के साथ रिश्ते को बरकरार रखने के लिए गोरखा सैनिकों को कुछ रियायत दी जा सकती है।’