भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती फिर से शुरू हो सकती है

भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी अगले सप्ताह नेपाल की यात्रा पर जाने वाले हैं। इस यात्रा में दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। जनरल द्विवेदी की नेपाल यात्रा में गोरखाओं की भर्ती को लेकर चर्चा होने की उम्मीद है, इसलिए यह यात्रा और भी खास हो जाती है। नेपाल सरकार ने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों को भेजने से इनकार कर दिया है। भारतीय सेना में 43 गोरखा बटालियन हैं, जो कई गोरखा रेजिमेंटों में सेवा दे रही हैं। हर बटालियन में नेपाली गोरखा लगभग 60 प्रतिशत हैं।भारतीय सेना ने जून 2022 में अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। यह योजना युवाओं को चार की अवधि के लिए सेना में सेवा करने की अनुमति देती हैं, जिन्हें अग्निवीर कहा जाता है। योजना के तहत 4 साल बाद 25 प्रतिशत युवाओं को सेवा में बनाए रखा जाएगा। बाकी को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में नौकरी के लिए कुशल बनाया जाएगा, लेकिन ये शर्तें नेपाली गोरखाओं पर लागू नहीं होती हैं।

इसके साथ ही दोनों देश संस्थानों में सैन्य कर्मियों को अध्ययन कराते हैं। इस साल 300 से अधिक नेपाली सेना के 300 से अधिक कर्मियों ने भारत में आतंकवाद विरोधी, नेतृत्व विकास और शांति स्थापना जैसे विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त कियाअतीत में भारत सरकार ने नेपाल से कहा है कि वह गोरखाओं को अग्निवीर के तहत चार साल से ज्यादा का कार्यकाल नहीं दे सकता। नेपाल इससे सहमत नहीं है और उसने गोरखाओं को भर्ती में जाने से रोक दिया है। भारत में कई लोग गोरखाओं को छूट देने के पक्ष में हैं। मेजर जनरल अशोक मेहता (रिटायर्ड) ने ट्रिब्यून इंडिया से बात करे हुए कहा, ‘यह एक रणनीतिक भर्ती है। अगर भर्ती की पुरानी शर्तें नहीं रखी जा सकतीं, तो नेपाल के साथ रिश्ते को बरकरार रखने के लिए गोरखा सैनिकों को कुछ रियायत दी जा सकती है।’

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