डोनाल्‍ड ट्रंप की जीत का प्रेस की आजादी पर क्या होगा असर

ट्रंप ने जीत की घोषणा करते हुए अपने भाषण में जिस तरह से मीडिया को ‘दुश्मन खेमा’ कहा है, वह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि है कि आने वाले समय में मीडिया को हिसाब-किताब के क्षण का सामना करना पड़ सकता है। पत्रकार एक-दूसरे से पूछ रहे हैं कि मीडिया की उपेक्षा करने वाले इस शख्स को पूरी दुनिया में मिली कवरेज आखिर क्या इशारा कर रही है? सूचनाओं के वातावरण में मीडिया अपनी आजादी के लिए किस जगह और किस स्तर पर खड़ा है?सूचनाएं पहुंचाने की उनकी क्षमता नष्ट हो गई है। ट्रंप ने साल 2016 में मीडिया पर युद्ध की घोषणा की थी, आज रात उन्होंने उसे पूरी तरह से परास्त कर दिया। वे फिर कभी प्रासंगिक नहीं होंगे।’ सोशल मीडिया पर किसी गुमनाम टीवी अधिकारी का एक पोस्ट दिखाई दिया जिसमें लिखा था कि ‘अगर आधे देश ने फैसला कर लिया है कि ट्रंप राष्ट्रपति बनने के योग्य हैं, तो इसका मतलब है कि वे मीडिया को सही तरीके से नहीं पढ़ या देख रहे हैं, हमने एक विवेकशील दर्शक वर्ग को पूरी तरह से खो दिया है।’

इसमें दो राय नहीं कि डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन में मीडिया को अब स्वतंत्र पत्रकारिता के महत्व के बारे में अपनी टीमों को आश्वस्त करने के साथ-साथ बदलाव की आवश्यकता को भी स्वीकार करने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। यही वह चीजें होंगी जो अमेरिकी पत्रकारिता के भविष्य और तेजी से ध्रुवीकृत समाज में लोकतंत्र के स्तंभ के रूप में सेवा करने की इसकी क्षमता को आकार देंगे।

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