विमानों और घरेलू बाजार में हिस्सेदारी के मामले में देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो एक बार फिर घाटे में है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 24-25 की दूसरी तिमाही के परिणामों में इसकी जानकारी दी है। दो साल के बाद 63% मार्केट शेयर वाली विमानन कंपनी के नुकसान का आखिर क्या कारण रहा आइए विस्तार से समझें।इंडिगो के अनुसार दूसरी तिमाही में ईंधन पर खर्च 12.8 प्रतिशत बढ़कर 6,605.2 करोड़ रुपये हो गया, एक साल पहले इसी अवधि में यह खर्च 5,856 करोड़ रुपये था। दूसरी तिमाही में विमान और इंजन का किराया भी बढ़कर 763.6 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में महज 195.6 करोड़ रुपये था। इसके अलावे कंपनी ने सितंबर तिमाही में करीब 79.6 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाया, जबकि एक साल पहले कंपनी ने टैक्स मद में महज 20 लाख रुपये चुकाए थे। सितंबर तिमाही में कंपनी का कुल व्यय लगभग 22 प्रतिशत बढ़कर 18,666.1 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी का घाटा बढ़ाने में इस आंकड़े का सबसे अधिक योगदान रहा।
देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो का संचालन करने वाली कंपनी इंटरग्लोब एविएशन ने शुक्रवार को सितंबर तिमाही के नतीजे जारी किए। दो साल बाद आमदनी बढ़ने के बावजूद एयरलाइन एक बार फिर घाटे में है। कंपनी के आंकड़ों के अनुसार जुलाई-सितंबर तिमाही में उसे 986.7 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ। कपनी के अनुसार विमानों के खड़े होने और ईंधन की ऊंची लागत से उसके मुनाफे पर असर पड़ा। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में इंडिगो का मुनाफा 2,728 करोड़ रुपये था। वहीं, एक साल पहले सितंबर 2023 में समाप्त तिमाही के दौरान एयरलाइन का मुनाफा 188.9 करोड़ रुपये था।कंपनी के अनुसार, विदेशी मुद्रा के प्रभाव को छोड़कर, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इंडिगो का घाटा 746.1 करोड़ रुपये रहा। सितम्बर तक एयरलाइन के पास 410 विमानों का बेड़ा था। इंडिगो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर एल्बर्स ने बताया कि एयरलाइन की वृद्धि और विस्तार की प्रक्रिया जारी है, लेकिन जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान पार्ट्स की सप्लाई चेन और इंजन के रखरखाव से जुड़ी दिक्कतों के कारण बेड़े के ग्राउंडेड विमानों की की संख्या 60 के करीब पहुंच गई। एल्बर्स ने कहा, "परंपरागत रूप से कमजोर दूसरी तिमाही में, विमानों के खड़े होने और ईंधन बढ़ी है जिसका असर वित्तीय परिणामों पर पड़ा।"