पटना: अंततः केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एनडीए की राजनीति में जो पलीता लगाया था उसमें धमाका भी हो गया। और यह धमाका किया जमुई से लोजपा(आर) के सांसद और चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती ने। शह और मात की जो विसात केंद्रीय मंत्री जीतन राम ने बिछाई थी उसमे प्रारंभिक सफलता तो मिल गई। आइए जानते हैं कि इस शह और मात के खेल में जीतन राम मांझी का मकसद क्या था और इसके खिलाफ सांसद अरुण भारती ने क्या कहा ?बिहार में इन दिनों दलित राजनीति उफान पर है। और अभी देखे तो अलहदा रूप में दलित राजनीति के मुख्यतः दो प्लेटफार्म हैं। एक लोकजनशक्ति पार्टी और दूसरा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर। वर्तमान समय में लोजपा दो धड़ों में बंट गई है। चिराग के नेतृत्व में लोजपा(आर)और पशुपति पारस के नेतृत्व में लोजपा राष्ट्रीय ताल ठोक रही है। लोजपा के दो गुटों में बंटे रहने के कारण इनकी शक्ति का विभाजन होने की गुंजाइश भी है।
बता दें कि पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच बातचीत तक बंद है। रामविलास का कुनबा बिखर चुका है। पारस की पार्टी आरएलजेपी है जबकि चिराग की पार्टी एलजेपी रामविलास है। रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी टूट गई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए में पारस को एक भी सीट नहीं दी गई थी। चिराग को पांच सीटें मिलीं और सब पर जीत हुई। इसके बाद चिराग को केंद्रीय मंत्री बनाया गया। वैसे अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या चिराग को कंट्रोल में रखने के लिए मांझी ने इस तरह का बयान दिया है?