हरियाणा चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस नेताओं की ओर से इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया जा रहा है कि ऐसा कैसे हो गया। हार के कारणों को भी पार्टी स्वीकार नहीं कर पा रही है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस आलाकमान भी खामोश है लेकिन सवाल यह है कि क्या उसे पता नहीं कि आखिर हरियाणा में हुआ क्या। यह किसी एक राज्य की कहानी नहीं, ऐसा पूर्व में कुछ और राज्यों में भी हो चुका है। इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा है। गांधी परिवार को भी यह पता है और बावजूद इसके शीर्ष नेतृत्व कोई ओर से कोई बड़ा फैसला नहीं हो सका। हरियाणा के नतीजों को समझने के साथ ही बाकी राज्यों में जो हुआ उसे भी समझना जरूरी है।
यह कहानी सिर्फ इन्हीं राज्यों की नहीं हिमाचल और कर्नाटक के अंदर भी क्या चल रहा है यह सबको पता है। बावजूद इसके कांग्रेस नेतृत्व खामोश है। कड़े और बड़े फैसले लेने से पार्टी क्यों हिचकती रही है और वह भी तब जब एक के बाद एक राज्य उसी झगड़े की भेंट चढ़ रहे हैं। हार स्वीकार नहीं करने से क्या बात बनेगी, पार्टी को इस ओर भी सोचने की जरूरत है।