भारत में दुग्ध क्षेत्र संवेदनशील विषय है, क्योंकि इससे छोटे किसानों की आजीविका का मुद्दा जुड़ा है और इस क्षेत्र में किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत किसी भी प्रकार की शुल्क रियायत देने की कोई योजना नहीं है। वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को यह बात कही।उन्होंने कहा कि भारत ने ईएफटीए (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) व्यापार समझौते के तहत स्विट्जरलैंड और नॉर्वे को भी दुग्ध क्षेत्र में कोई शुल्क रियायत नहीं दी। ईएफटीए पर मार्च में हस्ताक्षर किए गए थे। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया के साथ भी इस क्षेत्र पर चर्चा हुई और भारत ने उसे भी इस क्षेत्र से जुड़ी संवेदनशीलताओं से स्पष्ट रूप से अवगत कराया।इस बीच, कृषि क्षेत्र के बारे में पूछे गए एक सवाल पर ऑस्ट्रेलिया के व्यापार एवं पर्यटन मंत्री डॉन फैरेल ने कहा कि वे छोले, पिस्ता और सेब जैसी वस्तुओं पर शुल्क में कटौती की मांग कर रहे हैं।भारत और ऑस्ट्रेलिया ने दिसंबर 2022 में एक अंतरिम व्यापार समझौते को लागू किया था और अब वे एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के जरिये समझौते के दायरे को व्यापक बनाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 26 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 2023-24 में 24 अरब डॉलर रह गया। यह व्यापार अधिकतर ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में रहा है क्योंकि गत वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का निर्यात 7.94 अरब डॉलर था, जबकि आयात 16.15 अरब अमरीकी डॉलर था।अप्रैल 2000 से जून 2024 के बीच 1.5 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ ऑस्ट्रेलिया, भारत में 25वां सबसे बड़ा निवेशक है। गोयल ने द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देने में मदद के लिए सिडनी में ‘इन्वेस्ट इंडिया कार्यालय’ खोलने की भी घोषणा की।उन्होंने कहा कि भारत में निवेश के लिए अपार अवसर हैं, क्योंकि इसमें चार प्रमुख बिंदु लोकतंत्र, जनसांख्यिकीय लाभांश, मांग और निर्णायक नेतृत्व शामिल हैं। दोनों देश आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य बना रहे हैं।अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें\गोयल ने एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के व्यापार व पर्यटन मंत्री डॉन फैरेल के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारे किसान के पास औसतन बहुत कम जमीन है। यह दो से तीन एकड़ का खेत है जिसमें तीन से चार मवेशी हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया के खेत तथा उनके ‘डेयरी फार्म’ दोनों ही बहुत बड़े हैं। इन बड़े तथा छोटे ‘फार्म’ के लिए एक दूसरे के साथ एक समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना लगभग असंभव होगा।