प्रदेश सरकार ने परिवहन विभाग में 2012 में व्यापमं के माध्यम से नियुक्त 45 आरक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया। बता दें 2012 में व्यापमं घोटाले के उजागर होने पर सामने आया था कि इन 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्तियां फर्जी तरीके से की गई थी। अब इन नियुक्तियों को सरकार ने रद्द कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार के फैसले पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्तियां 12 साल बाद निरस्त की हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर ये नियुक्तियां वैध थीं, तो अब उन्हें रद्द क्यों किया गया? अरुण यादव ने राज्य की भाजपा सरकार पर व्यापमं घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह सरकार व्यापमं घोटाले के कारण पहले ही बदनाम हो चुकी है और अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ये नियुक्तियां रद्द कर दी गई हैं।