इजरायल-हिजबुल्लाह क्यों नहीं चाहते सीधी जंग?  पेजर धमाकों के बाद दुविधा में फंसे नसरल्लाह और नेतन्याहू, 

इजरायल और हमास के बीच पिछले 11 महीनों से युद्ध चल रहा है। जब हमास के साथ इजरायल का संघर्ष शुरू हुआ था, तभी से हिजबुल्ला के साथ भी लड़ाई चलती रही है। हिजबुल्लाह को लगातार कमजोर करने के लिए इजरायल ने अपनी रणनीति बदली है। इजरायल अब अंधाधुंध बमबारी करके बड़ी जगह को बर्बाद करने की जगह सटीक हमले कर रहा है। पेजर और वॉकी टॉकी में धमाका करके इजरायल ने सटीक हमला करने की अपनी क्षमता दिखाई है। वहीं शुक्रवार को उसने एक पिन पॉइंट हमले में हिजबुल्लाह के दूसरे नंबर के टॉप कमांडर इब्राहिम अकील को ढेर कर दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया में पश्चिम एशिया मामलों के एक्सपर्ट अत्तिला सोमफलवी ने अपने लेख में कहा कि युद्ध की शुरुआत में हिजबुल्लाह के टॉप नेताओं को इजरायल निशाना बनाने से बचता रहा है, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

पिछले 11 महीनों से दोनों पक्ष एक दूसरे के खिलाफ ड्रोन, मिसाइल, सीक्रेट ऑपरेशन और रॉकेट से हमला करते रहे हैं। हर कुछ दिनों में एक पक्ष दूसरे पर प्लान बनाकर हमला करता है। एक पक्ष इसे लाल रेखा पार करने की बात कह कर बदला लेने की धमकी देता है। फिर कुछ दिनों बाद बदला भी लिया जाता है। लेकिन फिर दोनों पीछे हो जाते हैं। यह दिखाता है कि न तो हिजबुल्लाह और न इजरायल इस युद्ध को बढ़ाना चाहता है। संघर्ष के कारण उत्तरी इजरायल में लेबनान से लगती सीमा के करीब लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हुए हैं।हिजबुल्लाह हमास से ज्यादा ताकतवर है। उसके पास लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा मिसाइलों का भंडार है। इसके अलावा ड्रोन हैं जो इजरायल में घुसकर तबाही मचा सकते हैं। सवाल उठता है कि क्या दुनिया एक बड़े युद्ध की कगार पर है? यह अभी साफ नहीं है। इजरायल और हिजबुल्लाह दोनों जानते हैं कि इस तरह के युद्ध से उन्हें भारी नुकसान होने वाला है। इसकी कीमत इससे होने वाले फायदे से ज्यादा होगी। लेकिन फिर भी इजरायल जानता है कि उसकी सीमा पर हिजबुल्लाह का होना बड़ा खतरा है। कोई भी समझदार देश इन खतरों को बर्दाश्त नहीं कर सकता।

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