नई दिल्ली: असम राइफल्स मणिपुर की इम्फाल घाटी के सीमावर्ती क्षेत्रों में दुश्मन के ड्रोन को खदेड़ने के लिए एंटी ड्रोन लेकर आई है। मणिपुर में तैनात सीआरपीएफ ने भी इस एंटी ड्रोन सिस्टम का टेस्ट किया है। सीआरपीएफ इसके बाद अधिक एंटी-ड्रोन बंदूकें भी तैनात करने की प्रक्रिया में है। मणिपुर पुलिस ने हमलों का मुकाबला करने के लिए इन बंदूकों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ऐसे में आपके मन में सवाल होगा कि ये एंटी ड्रोन क्या होते हैं? तो आइए विस्तार से समझते हैं।एंटी-ड्रोन सिस्टम को काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) तकनीक भी कहा जाता है। इसका उपयोग ड्रोन का पता लगाने, पहचानने, ट्रैक करने और निष्क्रिय करने के लिए किया जाता है। एंटी-ड्रोन सिस्टम ड्रोन का पता लगाने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं, जिनमें शामिल हैं:एक बार जब किसी ड्रोन का पता चल जाता है, तो एंटी-ड्रोन सिस्टम एडवांस सॉफ्टवेयर का उपयोग ड्रोन के प्रकार, मॉडल और उड़ान पैटर्न का विश्लेषण करने के लिए करते हैं। यह जानकारी खतरे के स्तर और उचित प्रतिक्रिया का निर्धारण करने में मदद करती है। काउंटरमेजर में शामिल हो सकते हैं: