जे एन सी टी यूनिवर्सिटी के दूसरे सेमेस्टर के पांच दिवसीय इंटर्नशिप प्रोग्राम के अंतर्गत फोकसिंग द फोकस विषय पर ब्रह्मा कुमारीज़ के मूल्य शिक्षा एवं अध्यात्म प्रकोष्ठ मध्य प्रदेश की क्षेत्रीय संयोजिका बी के किरण का प्रेरक व्याख्यान रखा गया।उन्होंने बताया कि यदि हमारे मन बुद्धि और संस्कारों में एकरूपता है अर्थात् हम अंदर बाहर एक समान हैं तो हमारी यह सत्यनिष्ठा हमें स्पष्ट और निर्भय रखती है, जिसके कारण किसी विषय में एकाग्र होना अपेक्षाकृत अधिक आसान हो सकता है। अपराधमुक्त वा पश्चाताप रहित जीवन स्थायी एकाग्रता के लिए आवश्यक है । हमारी अभिरुचि और एकाग्रता का सीधा संबंध है, जितनी अधिक रुचि उतनी अधिक एकाग्रता स्वत: होती है।विपरीत लिंगीय आकर्षण को प्रेम समझने की भूल भी हमारे विद्यार्थी जीवन के लिए आवश्यक एकाग्रता से हमें वंचित करती है, इसलिए इस भ्रमकारक आकर्षण से बचने की नितांत आवश्यकता है। अध्यात्म अर्थात स्वयं का सत्य ज्ञान इस भ्रमजाल से दूर रहने का सर्वाधिक कारगर उपाय है।साकारात्मक चिंतन और रचनात्मकता एकाग्रता का पोषण करते हैं। ईश्वर ही एकमात्र ऐसी सत्ता है जो सदा ही सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण है, इसलिए ही उसे प्रेम से याद करने की परंपरा सारे विश्व में प्रचलित है। इस आदत से हमारी एकाग्रता में आशातीत वृद्धि होती है। ईश्वर की याद का अनुभव कराने के लिए बी के किरण ने गाइडेड मेडिटेशन कराया।जे एन सी टी यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉक्टर मीतू सिंह, रजिस्ट्रार प्रोफेसर मोहित पंड्या, प्रिंसिपल डॉक्टर नेत्रपाल सिंह, प्रोफेसर डॉक्टर ऋषि उपाध्याय, प्रोफेसर शिवानी श्रीवास्तव एवं प्रोफेसर आकांक्षा शर्मा भी कार्यक्रम में शामिल थे।
लगभग दो सौ छात्र छात्राओं ने व्याख्यान का लाभ लिया।