6 जुलाई को वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच रथ को जोड़कर तैयार किया जाएगा

भोपाल 4 जुलाई. जगन्नाथ जी में रथयात्रा दूज के दिन होते हैं पुष्टिमार्ग में महाप्रभुजी वल्लभाचार्य इसका नियम पुष्य नक्षत्र वाले दिन बताया जिस दिन पुष्य नक्षत्र हो उसी दिन रथयात्रा होती है तो इस वर्ष 7 जुलाई को यह सहयोग रहेगा. प्रभु श्रीनाथजी का
यह रथ लकड़ी से निर्मित 124वर्ष पुराना है जिसमें 8 पहिए और 16 खंभे हैं इस रथ को गुजरात के सनखेड़ा के कारीगरों ने बनाया था पहले तो यह पूरी तरह लकड़ी का था पर अब इसके ऊपरी (छतरी) को 51साल पहले इसको चांदी का कराया गया और इसकी विशेष बात यह है कि यह पूरी तरह फोल्डेबल है इसका हर हिस्सा अलग हो जाता है. इसमें यह भी लकड़ी के ही बने हुए हैं 4 जुलाई से यह रथ यात्रा की तैयारी शुरू हो जाएंगे. इस बार यह रथ मरम्मत करा कर थोड़ा परिवर्तन किया जा रहा है. इस रथ में घोड़े नहीं लगते इसके पीछे यह भाव है कि यहां बाल भाव की सेवा है तो ब्रज में सभी गोपियां प्रभु को खुद ही धक्का देकर ब्रज में घुमा दी थी जिससे प्रभु आनंदित होते थे.सिर्फ घोड़े को सजावट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.यही भाव से इसमें घोड़े नहीं लगते हैं.रथ को मंदिर के बाहर नहीं ले जाया जाता है मंदिर के अंदर ही प्रभु को विराजमान करके ब्रामण कराया जाता है.इस बार नाथद्वारा से डोरिया के सफेद वस्त्र की पिछवई भी मंगाई गई है.06 जुलाईको वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच रथ को जोड़कर तैयार किया जाएगा.मुखिया श्रीकांत शर्मा
श्री जी का मंदिर लखेरापूरा भोपाल

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