कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी गइबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान राज्यसभा से वॉकआउट किया। उनकी मांग थी कि प्रधानमंत्री के संबोधन के बीच विपक्ष के नेता को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जाए। दरअसल, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मोदी के जवाब के दौरान हस्तक्षेप करना चाहते थे। हालांकि, सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने नारेबाजी की और विपक्ष के नेता को बोलने की अनुमति देने की मांग की।
पीएम मोदी ने नारेबाजी के बीच अपना भाषण जारी रखा। यह कुछ समय तक चलता रहा और खरगे बार-बार बोलने की अनुमति देने की गुहार लगाते रहे। जब अनुमति मिली, तो इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। धनखड़ ने उनके वॉकआउट की निंदा करते हुए कहा कि यह संविधान का अपमान है। मोदी ने भी वॉकआउट की निंदा की और कहा कि वह कोई अंक हासिल करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, बल्कि अपनी सरकार के प्रदर्शन का लेखा-जोखा देने के लिए बाध्य हैं।
जगदीप धनखड़ ने क्या कहा?
राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैंने उनसे आग्रह किया कि विपक्ष के नेता को बिना किसी व्यवधान के बोलने के लिए पर्याप्त समय दिया गया तो पीएम को भी ध्यान से सुना जाए। पर, आज उन्होंने सदन को पीछे नहीं छोड़ा, उन्होंने गरिमा को पीछे छोड़ा है। आज उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई, उन्होंने भारत के संविधान को पीठ दिखाई है। उन्होंने मेरा या आपका अपमान नहीं किया, उन्होंने संविधान की शपथ का अपमान किया है। भारत के संविधान का इससे बड़ा अपमान और कोई नहीं हो सकता। मैं उनके आचरण की निंदा करता हूं। यह एक ऐसा अवसर है, जहां उन्होंने भारतीय संविधान को चुनौती दी है। उन्होंने भारतीय संविधान की भावना का अपमान किया है, उन्होंने ली गई शपथ का अनादर किया है। भारतीय संविधान आपके हाथों में पकड़ने वाली चीज नहीं है, यह जीवन जीने की पुस्तक है। मुझे उम्मीद है कि वे आत्मनिरीक्षण करेंगे और कर्तव्य के उस मार्ग पर चलेंगे।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
इस पर पीएम मोदी ने कहा कि देश देख रहा है झूठ फैलाने वालों की सत्य सुनने की ताकत भी नहीं होती है। सत्य से मुकाबला करना इसके लिए जिनके हौसले नहीं हैं, उनमें बैठकर के इतनी चर्चा के बाद अपने द्वारा ही उठाए हुए सवालों के जवाब सुनने की हिम्मत नहीं है। ये अपर हाउस को अपमानित कर रहे हैं। देश की जनता ने हर प्रकार से उनको इतना पराजित कर दिया है कि अब उनके पास गली-मोहल्ले में चीखने के सिवाय कुछ बचा नहीं है। नारेबाजी, हो-हल्ला और मैदान छोड़कर भाग जाना… यही उनके नसीब में लिखा हुआ है।
उन्होंने सभापति से कहा कि आपकी वेदना मैं समझ सकता हूं, 140 करोड़ देशवासियों ने जो निर्णय दिया है, जो जनादेश दिया है, उसे ये पचा नहीं पा रहे हैं। कल उनकी सारी हरकतें फेल हो गईं, तो आज उनका वो लड़ाई लड़ने का हौसला भी नहीं था, इसलिए वो मैदान छोड़कर भाग गए। मैं तो कर्तव्य से बंधा हुआ हूं, मैं यहां डिबेट पर स्कोर करने नहीं आया हूं। मैं तो देश का सेवक हूं, देशवासियों को मेरा हिसाब देने आया हूं। देश की जनता को मेरे पल-पल का हिसाब देना, मैं अपना कर्तव्य मानता हूं।