क्या “कांग्रेश के सहारे भा जा पा बाजी मारे” वाली कहावत सच साबित होगी?

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं का मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा से मिलने का जो सिलसिला चल रहा है वह राजनीतिक गलियारों सहित प्रदेश की जनता के बीच में चर्चा का विषय बना हुआ है वह भी ऐसे वक्त पर जब मध्यप्रदेश में एक लोकसभा और 3 विधानसभाओं के उप चुनाव होने जा रहे हैं इस सिलसिले में हाल ही में नरोत्तम मिश्रा से मिले सज्जन सिंह वर्मा

जिनकी चर्चा बंद कमरे में लगभग आधे घंटे से ऊपर हुई इस बंद कमरे की बैठक मैं किस मुद्दे पर चर्चा हुई वही पिछले महीने डॉक्टर गोविंद सिंह ने श्री मिश्रा से मुलाकात की थी

वही कांतिलाल भूरिया भी डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात कर चुके हैं

पिछले 1 महीने में कांग्रेस के प्रतिपक्ष रहे नेता अजयसिंह की तीन मुलाकात अभी तक हो चुकी हैं यह सारी मुलाकातें इन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के निवास पर ही हुई हैं

इन मुलाकातों को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो बड़ी महत्वपूर्ण है राजनीतिक गलियारों सहित मीडिया और मध्य प्रदेश की जनता के बीच एक हलचल सी मच हुई है और जिज्ञासा है यह जानने की कि आखिर कांग्रेश के बड़े लीडर डॉ नरोत्तम मिश्रा से क्यों मिल रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश की कमान भारतीय जनता पार्टी की ओर से डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ही संभाले हुए हैं इसके तीन सवाल जहां खड़े हो रहे हैं वहीं इन मुलाकातों के कई मायने निकाले जा रहे हैं जिनमें सबसे पहले क्या डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा मुख्यमंत्री न बन पाने की वजह से भारतीय जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेश के सहयोग से मुख्यमंत्री बनना चाह रहे हैं. नंबर दो क्या हो रहे उपचुनाव में कांग्रेश के लीडर कुछ सेटिंग कर रहे हैं और तीसरा कारण जो निकल कर आ रहा है वह यह कि लोकसभा चुनाव खंडवा और विधानसभा उपचुनाव पृथ्वीपुर रैगांव और जोबट को हराने जिताने की सेटिंग हो रही है क्योंकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के होते हुए डॉ नरोत्तम मिश्रा का मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब पूरा होना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है इन तीन सवालों में इन मुलाकातों का सिलसिला साबित हो रहा है इन चर्चाओं के बीच कई अटकलें भी लगी हुई है अब देखना यह है कि क्या कांग्रेश के सहारे भा जा पा बाजी मारे वाली कहावत सच साबित होगी? भाजपा अब रेडीमेड सरकार बनाने में लगी हुई है क्या इसी फार्मूले का इस्तेमाल कहीं कांग्रेश तो करने जा रही है यह भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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