देखिये रवींद्रनाथ टैगोर की मार्मिक कहानी डाकघर जो ग्रामीण बंगाल के एक नन्हे बच्चे अमल के सपनों के इर्द-गिर्द घूमती है

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की अमर कहानी ‘डाकघर’ दर्शकों को 20वीं सदी के ग्रामीण बंगाल में वापस ले जाती है, जहाँ एक बीमार बच्चा अमल, अपने कमरे की चारदीवारी से बाहर निकलकर आनंद, स्वतंत्रता और रोमांच से भरा जीवन जीने का सपना देख रहा है। वह अपना पूरा दिन खिड़की के पास बैठकर लोगों आते जाते हुए देखता है। जब एक चौकीदार उसे पड़ोस में एक नए डाकघर के बारे में बताता है, तो अमल चिट्ठियाँ पाने और उन्हें पहुँचाने के बारे में स्वप्न देखने लगता है। हालाँकि उसकी सबसे बड़ी इच्छा है राजा से बस एक बार मिलना। क्या उसका ये सपना सच होगा?
नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित, ज़ी थिएटर के इस टेलीप्ले में कृष छाबड़िया भी हैं।

कब: 26 जून, 2024

कहाँ: एयरटेल स्पॉटलाइट, डिश टीवी रंगमंच एक्टिव और डी2एच रंगमंच एक्टिव

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