पूरी गर्मी का मौसम और बच्चों के अवकाश निकल गये, लेकिन मई और जून में आमतौर पर सड़को पर निकलती बारात, बैंड बाजे , बाजारों में वैवाहिक खरीदी, विवाह आमंत्रण कार्ड नहीं दिखाई दिये । इसका कारण विभिन्न मान्यताओं के अनुसार शुक्र एवं गुरू ग्रह का अस्त होना बताया गया । ग्रहों के अस्त होने के वैज्ञानिक पक्ष को नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया । सारिका ने बताया कि सूर्य की परिक्रमा उसके सभी सदस्य ग्रह करते हैं , इसमें गुरू, शुक्र और पृथ्वी भी शामिल है । परिक्रमा करते हुये जब पृथ्वी से देखने पर ये ग्रह सूर्य के आसपास पहुंच जाते हैं तो सूर्य की तेज चमक के आगे इनकी चमक मंद हो जाती है जिससे ये ग्रह अलग से आकाश में नहीं दिखते हैं । जितने दिनों तक ये सूर्य के चमक क्षेत्र में रहते हैं तब यह कहा जाता है कि ये ग्रह अस्त हैं । परिक्रमा करते हुये जब ये आगे बढ़ जाते हैं तो पुन: आकाश में दिखने लगते हैं इसे इन ग्रहों का उदित होना कहते हैं । सारिका ने बताया कि अस्त हो जाने पर अनेक लोगों का मानना होता है कि वह ग्रह आकाश में आता ही नहीं है अर्थात क्षितिज के नीचे कहीं छिप जाता है । जबकि ऐसा नहीं होता है, अस्त हुआ माना ग्रह सूर्य के आसपास रहता है । अस्त माने जाना वाला ग्रह भी आकाश में सूर्य के आसपास के आकाश में उपस्थित रहता है । लेकिन अस्त ग्रह की चमक सूर्य के प्रकाश में खो जाने के कारण वह दिखाई नहीं देता है। सारिका ने बताया कि अब इंतजार की घडि़यां समाप्ति की ओर है जल्दी ही शुक्र भी सूर्य से दूर होकर शाम के आकाश मे दिखाई देना आरंभ करने वाला है । गुरू तो सुबह के आकाश में दिखना आरंभ हो ही चुका है ।
– सारिका घारू@GharuSarika