भोपाल, 25 जून.अभी मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री और मंत्रियों का इनकम टैक्स सरकार भरती थी। इस पर करोड़ों रुपए का खर्च आता था। 52 साल से चली आ रही इस परंपरा को सीएम मोहन यादव ने पलट दिया है। कैबिनेट में इसकी मंजूरी मिल गई है। सीएम मोहन यादव ने जानकारी देते हुए बताया है कि मुख्यमंत्री और मंत्री अब खुद ही अपना इनकम टैक्स भरेंगे।दरअसल, हर साल सीएम और मंत्रियों के इनकम टैक्स भरने में सरकार के करोड़ों रुपए खर्च होते थे। इस फैसले के बाद सरकारी खाते में राशि की बचत होगी। सीएम मोहन यादव ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि कैबिनेट की बैठक में कई सारे निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की प्रगति को लेकर अहम फैसले हुए हैं। मोहन यादव ने कहा कि अब हमारे सारे मंत्रीगण अपने-अपने इनकम टैक्स खुद ही भरेंगे।
1972 से चली आ रही यह परंपरा
मध्य प्रदेश में 1972 से सरकार ही मुख्यमंत्री और मंत्रियों के इनकम टैक्स को भरती है। सीएम ने कहा कि मंत्रिगणों और संसदीय सचिवों का सारा व्यय सरकारी खाते में जाता था। अब ऐसा नहीं होगा। सीएम मोहन यादव ने इस फैसले को पलट कर मध्य प्रदेश में एक मिसाल पेश की है। साथ ही वह कहते रहे हैं कि यह आम जनता की सरकार है। कुछ दिन पहले यह बात सामने आई थी कि यहां कर्मचारी अपना खुद से इनकम टैक्स भरते हैं जबकि मंत्रियों का खर्च सरकार वहन करती है। सीएम के संज्ञान में मामला सामने आने के बाद उन्होंने इस बारे में अहम फैसला लिया और कैबिनेट से अनुमोदन हो गया है।इसके अलावा निर्णय लिया गया कि मध्य प्रदेश के सभी विकासखंडों में स्थापित मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं का संचालन कृषि स्नातक और कृषि क्षेत्र में काम करने वाली सहकारी समितियां करेंगी।प्रत्येक विकासखंड में 45-45 नमूनों की जांच के लिए राशि सरकार की ओर से दी जाएगी। इसके बाद संचालनकर्ता स्वयं मृदा परीक्षण करेंगे और राशि प्राप्त करेंगे। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि मध्य प्रदेश के वे विद्यार्थी जो अन्य राज्यों के सैनिक स्कूल में पढ़ते हैं, उन्हें भी छात्रवृत्ति दी जाएगी। रेलवे से जुड़ी परियोजनाओं के लिए प्रदेश में अब परिवहन के स्थान पर लोक निर्माण विभाग नोडल विभाग होगा और समन्वय का काम दिखेगा। कैबिनेट बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया गया कि सैनिक के बलिदान होने पर उसकी पत्नी को दी जाने वाली सम्मान निधि का आधा हिस्सा माता-पिता को भी दिया जाएगा। अभी तक यह पूरी राशि पत्नी को दी जाती थी लेकिन कुछ ऐसे प्रकरण भी सामने आए जिसमें आश्रित माता-पिता को छोड़कर बलिदानी की पत्नी चली गई, जिससे उन्हें आगे का जीवनयापन में परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया कि कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के अंतर्गत पौधारोपण के लिए निर्धारित 10 हेक्टेयर क्षेत्र की सीमा नहीं रखी जाएगी यानी कोई संस्था दो हेक्टेयर में भी पौधारोपण करना चाहती है तो उसे भी अनुमति मिलेगी। एक जुलाई से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन सरकार का पहला पूर्ण बजट प्रस्तुत किया जाएगा। इसके पहले आज मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। बैठक में बजट प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। मप्र का वर्ष 2024-25 का बजट साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। इसमें प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व से संचालित सभी योजनाओं के लिए प्रविधान किए जाएंगे।