नई दिल्ली। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के मसले पर नई लोकसभा का प्रथम सत्र शुरू होने से पहले ही सरकार और विपक्ष के बीच एक दूसरे को मात देने के लिए सियासी तलवारें खींचने की तैयारी है। विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन की अगुवाई कर रही कांग्रेस ने जहां अपने सबसे वरिष्ठ सांसद के सुरेश को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाए जाने को भाजपा की दलित विरोधी मानसिकता करार दिया है।वहीं, सरकार ने इस आरोप को खारिज करते हुए कांग्रेस पर झूठ फैलाने का जवाबी आरोप लगाया है। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस सांसद सुरेश भले ही आठवीं बार लोकसभा में चुनकर आए हैं मगर इसमें उनके दो चुनावी ब्रेक हैं, जबकि महताब सातवीं बार सांसद बने हैं और इस लिहाज से सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य होने के नाते उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाया पूरी तरह जायज है। प्रोटेम स्पीकर के साथ ही संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव के संकेत हैं। कांग्रेस के नीट परीक्षा में धांधली और शेयर बाजार के कथित घोटाले को उठाने की तैयारियों के बीच रिजिजू ने साफ कर दिया कि संसद के इस संक्षिप्त सत्र का केवल तीन एजेंडा-नए सांसदों की शपथ, स्पीकर का चुनाव तथा राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा का है। सत्र में बाकी अन्य किसी मुद्दे के लिए समय नहीं है। विपक्ष को उनके मुद्दे उठाने के लिए सत्र के दौरान गुंजाइश नहीं होने का संदेश देकर संसदीय कार्यमंत्री ने कांग्रेस तथा उसके सहयोगी दलों से सीधे टकराने के सरकार के इरादे जाहिर कर दिए।
रिजिजू ने कहा कि नई लोकसभा में सरकार और विपक्ष को अपनी-अपनी जिम्मेदारियां अच्छे से निभाने की शुरूआत करनी है, और इसलिए हम शांति से संसद सत्र शुरू करना चाहते थे। लेकिन कांग्रेस ने इस तथ्य को उजागर नहीं किया है कि के सुरेश आठवीं बार लोकसभा में पहुंचे जरूर हैं, मगर इस बीच 1998 और 2004 में हार के कारण उनका ब्रेक है।