(माया को बैठाने से जकड़ लेंगी हतकडी-बेडियां)
शिव शक्ति धाम सिद्ध आश्रम ग्राम निपानियां जाट बैरसिया रोड भोपाल में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिवस दंण्डीस्वामी श्री श्री 1008 श्री परमात्मा नंद जी महाराज ने अपने शिष्य कथावाचक पं0सुशील महाराज को शुभ आशीर्वाद दिया।इसके उपरांत कथा वाचक पंडित सुशील महाराज ने श्री राम चरित्र पर प्रकाश डालते हुए श्री कृष्ण जन्म की कथा श्रोताओं को सुनाई। कथा में भजन पर श्रोता झूम कर नाचने लगे।आचार्य श्री ने ईश्वर के गूढ़ रहस्य को श्रोताओं को बताया कि श्री राम के तीनों भाईयों का जन्म तीनों देवताओं के अंशों के साथ मिलकर मिल कर हुआ है। रामायण में स्पष्ट लिखा है कि “अंसन सहित मनुज अवतारा” भरत जी के अंदर श्री बिष्णु भगवान का अंश आया है। रामायण में लिखा है कि विश्व भरण पोषण कर जोई,ताकर नाम भरत अस होई।”और विश्व का भरण-पोषण केवल बिष्णु भगवान ही कर सकते हैं। शत्रुघ्न के अंदर श्री ब्रह्मा जी का अंश आया है। रामायण में स्पष्ट लिखा है कि “जाके सुमिरन ते रिपु नाशा , नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा “वेदों की रचना ब्रह्मा जी ने की है। शत्रुघ्न ने नहीं की है। इसलिए स्पष्ट है कि शत्रुघ्न के अंदर ब्रह्मा जी का अंश आया है। और लक्ष्मण जी के अंदर भोले शंकर का अंश आया है। श्रीराम स्वयं बिष्णु के अवतार थे।इस प्रकार श्रीराम का अवतार त्रिगुणातीत देवताओं के अंशों के साथ हुआ है।
श्री कृष्ण के अवतार की कथा पर प्रकाश डालते हुए आचार्य पं०सुशील महाराज ने जानकारी देते हुए बताया है कि ईश्वर श्री कन्हैया जी को मनुष्य यदि अपने मन मस्तक पर विराजमान करवायेगा।तो उसकी बंद किश्मत के ताले ठीक उसी प्रकार से खुल जायेंगे।जिस तरह से श्री बासुदेव जी ने श्री कृष्ण को सूपा में रखकर जब मस्तक के ऊपर विराजमान करवाया तो बासुदेव के हांथ और पैरों की हथकड़ी और बेड़ियां तुरंत खुल गई।द्वार पर लगे ताले तत्क्षण ही खुल गये।और जब बासुदेव जी ने जसोदा के घर जाकर अपने सर से श्री कृष्ण जी को उतारकर जसोदा जी के पलंग पर लिटा दिया और जसोदा जी के पलंग पर लेटी योगमाया को अपने सर पर बैठाकर बापस मथुरा जेल में पहुंच गए।जैसे बासुदेव जेल में पहुंचे उनके शरीर में हथकड़ी-बेडियां फिर पड़ गई। और द्वार के ताले फिर से बंद हो गये।
इससे स्पष्ट होता है कि मनुष्य यदि अपने मस्तक पर ईश्वर को विराजमान करवायेगा। ईश्वर का मन मस्तिष्क में सुमिरन करेगा।तो उसके बंद किश्मत के ताले खुल जायेंगे।और यदि अपने मन मस्तिष्क में माया को बिराजमान करवायेगा तो कष्टों की हथकड़ी और बेड़ियां उस ब्यक्ति को जकड़ लेंगी। और उसकी किस्मत का ताला बंद हो जायेगा।मन मस्तिष्क में श्री बिष्णु के साथ लक्ष्मी जी को विराजमान करवाने से मां लक्ष्मी गरुण सवारी पर आतीं हैं। और मनुष्य को सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करतीं हैं।और मन मस्तिष्क पर मां लक्ष्मी को अकेले विराजमान करवाओगे तो मां लक्ष्मी उल्लू की सवारी पर आतीं हैं।और उस मनुष्य के जीवन में चहुंमुखी विनांश करती हैं।
यज्ञशाला में आज आठवें दिवस पं0सुशील महाराज ने आहुतियां डालकर आज का देवी हवन यज्ञ पूर्ण करवाया। जिसमें उपस्थित होकर श्री नागा महाराज श्री केशवानंद जी ने अपने हाथों से आहुतियां डाली।श्री लोचन महाराज जी कटारा हिल्स वाले ने भागवत ग्रंथ की पूजा अर्चना की है।
(पं०सुशील महाराज)
कथावाचक एवं पीठाचार्य
श्री शिव शक्ति धाम सिद्धाश्रम निपानिया जाट भोपाल म0प्र0
मो०नं०- 9179006977