चुनाव के बीच में अंबानी -अडानी पर राहुल चुप तो अचानक पीएम मोदी मुखर क्यों हुए

मोदी ने अंबानी-अडानी का नाम लेकर कांग्रेस को उलझाया

पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव के बीच एक बयान से कई दांव खेल गए। उन्होंने अंबानी-अडानी का नाम लेकर राहुल गांधी को उकसाने की कोशिश की है। इनके बारे खुलेआम बोलकर जनता को यह जता दिया कि कांग्रेस की ओर से जो आरोप पहले लगाए जा रहे थे, उसमें दम नहीं है। साथ ही, यह भी संदेश दिया कि उद्योगपतियों का नाम लेने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। इस तरह उन्होंने बीच चुनाव में अपना दामन साफ कर लिया। खुद पीएम मोदी अंबानी-अडानी पर कांग्रेस को पैसा देने का तोहमत लगा दिया। इस तरह कांग्रेस पर उन्होंने करप्शन के आरोप भी जड़ दिए। अब इस मुद्दे में कांग्रेस उलझ सकती है। अब अगर राहुल दोबारा उद्योगपतियों के नाम पर भाषणबाजी शुरू करेंगे तो कोर मुद्दे पीछे छूट जाएंगे। नहीं बोले तो जनता के बीच सही संदेश नहीं जाएगा और पीएम मोदी की बात सच जैसी लगने लगेगी। इसके अलावा वोटरों के मूड ने भी पीएम मोदी को गियर बदलने के लिए मजबूर किया है। अभी तक वह अपनी चुनावी रैलियों में शहजादे, राम मंदिर, मुस्लिम आरक्षण, दुनिया की तीसरी ताकत जैसे मुद्दे पर ही बोलते रहे हैं।

करीमनगर (तेलंगाना) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को तेलंगाना में तीन जनसभाएं कीं। करीम नगर की सभा में अचानक उन्होंने देश के बड़े उद्योगपति अंबानी-अडानी का मुद्दा छेड़ दिया। उन्होंने कांग्रेस से सवाल पूछा कि अक्सर अंबानी और अडानी के नाम लेकर सरकार को घेरने वाले राहुल गांधी चुनाव के बीच अचानक चुप क्यों हो गए। पीएम मोदी सिर्फ सवाल तक नहीं रुके बल्कि आरोप लगा दिया कि राहुल गांधी ने उद्योगपतियों से पैसे मिलने के बाद चुप्पी साध ली है। उन्होंने तल्ख अंदाज में पूछा कि चुनाव में अंबानी अडानी से कितना माल उठाया है? काले धन के कितने बोरे मिले हैं? क्या सौदा हुआ कि राहुल ने अंबानी-अडानी को गाली बंद कर दी? दाल में जरूर कुछ काला है। पीएम नरेंद्र मोदी के इस रुख से राजनीतिक पंडित भी हतप्रभ रह गए। इससे पहले पांच साल से राहुल गांधी जनसभाओं में आरोप लगाते रहे हैं कि मोदी सरकार देश को अंबानी और अडानी के हवाले कर रही है। उनके आरोप के जवाब में कभी बीजेपी और पीएम मोदी के तरफ से बयान नहीं आया।

करप्शन पर नहीं घेर पाई कांग्रेस, राहुल के बोल बदले

नरेंद्र मोदी ने जिस तरह अडानी और अंबानी का नाम लेकर खुलेआम कांग्रेस पर पैसे लेने के आरोप लगाए हैं, उस पर कांग्रेस की तरफ आधिकारिक बयान नहीं आया है। सिर्फ प्रियंका गांधी ने संक्षिप्त टिप्पणी की है कि पीएम मोदी घबराहट में सफाई दे रहे हैं। अडानी-अंबानी पर राहुल गांधी ने अचानक हमले बंद क्यों कर दिए?, इस पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि राहुल के चुनावी भाषणों में अचानक बदलाव नहीं हुआ। कांग्रेस की रणनीतिकारों ने पिछले लोकसभा चुनाव से सबक ली है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने राफेल के जरिये बीजेपी पर करप्शन के आरोप लगाए थे। वह पूरे चुनाव में राफेल की खरीद में हुई लेन-देन की बारीकियां समझाते रहे और बीजेपी पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और लोक लुभावन मुद्दों पर बाजी मार ले गई। खुद राहुल चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन की मीटिंग और न्याय यात्रा में भी अंबानी-अडानी के नाम जपते रहे। सूत्रों के अनुसार 2024 के लोकसभा चुनाव में दो चरण के मतदान के बाद पार्टी को फीडबैक मिला कि करप्शन के मुद्दे पर ब्रैंड मोदी को घेरने की कोशिश का खास असर नहीं पड़ रहा है। वोटर जनहित के मुद्दों पर अपनी राय बना रहे हैं, इसलिए अब राहुल गांधी बेरोजगारी, महंगाई और संविधान पर ज्यादा बात कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *