मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार के मामले दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं जिससे ऐसा लगता है कि अपराधी बेखोफ़ है अभी-अभी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में दो आदिवासियों के साथ मारपीट का मामला सुर्खियों में चल रहा है वही उल्लेखनीय है कि ग्वालियर जिले के अजय आदिवासी का शव पेड़ पर लटका मिला था I
इस मामले को पुलिस ने आत्महत्या का रूप देकर कोर्ट में चालान पेश किया लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए फोटो को ध्यान से देखने के बाद पुलिस की आत्महत्या की कहानी को बेनकाब कर दियाI
पुलिस ने इस मामले में मनोज आदिवासी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप मनोज पर लगाया, लेकिन कोर्ट का यह मानना है कि किसी भी व्यक्ति के लिए अपने दोनों हाथ पीछे से बांधकर पेड़ से लटकना और फांसी लगा लेना संभव ही नहीं है बल्कि उसको पेड़ पर लटकाने से पहले मारा पीटा भी गया है कोर्ट ने पुलिस को फिर से जांच करने का आदेश दिया है, मृतक की पत्नी और उसके साले की भूमिका की भी जांच के निर्देश दिए हैं क्योंकि किसी को मार कर पेड़ पर लटकाना एक व्यक्ति का कार्य नहीं है जिसमें सिर्फ एक व्यक्ति को आरोपी बनाया गया है
इससे पूर्व शिकायत में 28 जून 2023 को अजय के साले रामनिवास ने रिपोर्ट दर्ज कराई की अजय ने फांसी लगा ली है 27 जून 2023 को मनोज और अजय के बीच में विवाद हुआ था यह विवाद अजय की पत्नी सरस्वती को लेकर हुआ था क्योंकि मनोज के साथ सरस्वती अजय को छोड़कर लिव इन में रह रही थी I 28 जून से कुछ दिन पहले ही सरस्वती फिर से अजय के साथ आकर रहने लगी थी इसी के आधार पर पुलिस ने मनोज पर केस दर्ज किया था लेकिन पुलिस द्वारा कोर्ट को तस्वीर प्रस्तुत कर बताया कि मृतक के दोनों हाथ पीछे से बंधे हुए थे और कलाई से भी खून निकल रहा था ऐसे में यह मामला संदिग्ध प्रतीत होता है अपर लोक अभियोजक ने इस पर आपत्ति दर्ज की थी मध्य प्रदेश में प्रत्येक माह कोई ना कोई घटना घटित हो रही है
इससे ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों का कानून पर भरोसा नहीं बन पा रहा है मध्य प्रदेश की कानून व्यवस्था को इस बात पर गौर करना चाहिए कि अधिकतर घटनाएं मध्य प्रदेश के जिलों में आदिवासियों के साथ ही क्यों घटित हो रही है ? इसको सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए I