इस साल देश जालियांवाला बाग की 104वीं बरसी पर शहीदों को याद कर रहा है। साल 1919 में अमृतसर में हुए इस नरसंहार में हज़ारों लोग मारे गए थे लेकिन ब्रिटिश सरकार के आंकड़ें में सिर्फ 379 की हत्या दर्ज की गई।
जालियांवाला बाग में हुआ हादसा भारत की स्वतंत्रता के इतिहास से जुड़ा एक ऐसा दिन था, जिसका जश्न नहीं मनाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह इतिहास का काला दिन है जो सिर्फ दर्दनाक और दुखद यादों से भरा हुआ है। रौलट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध में भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में लोग उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन जलियांवाला बाग में इकट्ठे हुए थे, जिसने वास्तव में नागरिक अधिकारों पर अंकुश लगाया था, जिसमें उनकी आवाज को दबाने और पुलिस बल को अधिक शक्ति देकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी शामिल थी।
क्या था जालियांवाला बाग हत्याकांड
जालियांवाला बाग हत्याकांड, को अमृतसर हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है, जो ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के अमृतसर शहर में 13 अप्रैल, 1919 को घटी एक दुखद घटना थी। यह ब्रिटिश कोलोनियल शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष के सबसे काले दिनों में से एक था। इस नरसंहार की शुरुआत रोलेट एक्ट के साथ शुरू हुई, जो 1919 में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा पारित एक दमनकारी कानून था, जिसने उन्हें बिना मुकदमे के राजद्रोह के संदेह वाले किसी भी व्यक्ति को कैद करने की अनुमति दी थी। इस अधिनियम की वजह से पंजाब सहित पूरे भारत में विरोध शुरू हुआ।
News reporter raju markam 9301309374