Mangalwar Ke Totke: हिंदू धर्म में शुभ अवसर पर सुंदरकांड (Sundarkand) का पाठ किया जाता है. मान्यता है कि सुन्दर कांड का पाठ करने से मनुष्य के सब कष्ट दूर होते हैं तथा मनोकामना पूर्ण होती है.
Reported by SACHIN RAI, Dy. Editor, 8982355810
Mangalwar Ke Upay: सुंदर कांड तुलसीदास जी रचित श्रीरामचरितमानस का वह हिस्सा है जिसमें हनुमान जी की अपार महिमा बताई गई है. हिंदू धर्म में शुभ अवसर पर सुंदरकांड (Sundarkand) का पाठ किया जाता है. मान्यता है कि सुन्दर कांड का पाठ करने से मनुष्य के सब कष्ट दूर होते हैं तथा मनोकामना पूर्ण होती है. लेकिन सुंदर कांड का पाठ करने के धर्म-ज्योतिष में कुछ नियम जिनका पालन करने से बजरंगबली आपके सारे संकट को दूर कर देते हैं.
सुंदरकांड के पाठ करने से लाभ (Benefits Of Reading Sundarkand) :
सुंदरकांड का नित्यप्रति पाठ करना हर प्रकार से लाभदायक होता है. इसके अनंत लाभ हैं, लेकिन यह पाठ तभी फलदायी होता है.
– अकारण किसी काम में आ रही अड़चन या परेशानी दूर हो जाती हैं.
– सुंदर कांड का पाठ करने या सुनने से मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है.
– आत्म-विश्वास की कमी या इच्छा शक्ति में कमी दूर होती है.
– सुंदरकांड के मंगलाचरण का रोजाना पाठ करने से व्यापार और नौकरी में तरक्की होती है.
– जीवन में आ रही अत्यधिक परेशानियाँ कम हो जाती हैं.
– सुंदर कांड के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करने से धन धान्य में बढ़ोतरी होती है.
– सुंदर कांड का पाठ करके एक जटा युक्त नारियल अपने ऊपर से सात बार उतार कर हनुमान जी के मंदिर में चढ़ाने से राहु की शांति होती है. इस नारियल पर सरसों या तिल का तेल छिड़क कर चढ़ाने से शनि का प्रकोप शांत होता है.
सुंदरकांड पाठ के नियम
मन में यह विश्वास रखकर कि जैसे हनुमान जी ने श्रीराम के काज संवारे, वैसे ही हमारे भी संवारेंगे, सुंदर कांड का पाठ करना चाहिए. सुंदर कांड के पाठ की विधि इस प्रकार है.
– स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– एक चौकी पर हनुमान जी और श्रीराम भगवान की सुंदर फोटो स्थापित करके पुष्प आदि से सजाएं.
– गणेश जी, शंकर भगवान, श्रीराम भगवान और हनुमान जी का ध्यान करके आवाहन करें.
– सिंदूर में चमेली के तेल मिलाकर हनुमान जी को तिलक लगायें.
– पीपल के सात पत्ते हनुमान जी के चरणों में रखें.
– घी का दीपक जलाएं. यह दीपक सुंदर कांड के पूरे समय तक जलना चाहिए.
– फल, गुड़ चना, लड्डू आदि मिठाई का भोग लगायें.
– गुरूजी और पितरों आदि का ध्यान करके उन्हें प्रणाम करें.
– इसके बाद श्रीराम की वंदना करें. फिर सुन्दर कांड का पाठ शुरू करें.
– पाठ समाप्त होने पर हनुमान जी की आरती की और श्रीरामजी की आरती करें.