Kumar Vishwas की RSS को लेकर फिसली ‘जुबान’, वीडियो जारी कर मांगनी पड़ी माफी?

Kumar Vishwas​ News: कुमार विश्वास ने यह टिप्पणी रामकथा के दौरान की.  कालिदास अकादमी परिसर में विक्रमोत्सव के तहत इस रामकथा का आयोजन 21 से 23 फरवरी तक आयोजन किया गया है. कथा सुनाने के लिए मंगलवार को कवि कुमार विश्वास उज्जैन पहुंचे थे.  

Reported By Dy. Editor, SACHIN RAI, 8982355810

Kumar Vishwas की RSS को लेकर फिसली 'जुबान', वीडियो जारी कर मांगनी पड़ी माफी?

Ujjain News: उज्जैन में रामकथा करने पहुंचे कुमार विश्वास एक बड़े विवाद में फंस गए. बताया जा रहा है कि राम कथा के दौरान उन्होंने एक ऐसा कह दिया जिस पर हंगामा खड़ा हो गया. विवाद इतना बड़ा कि विश्वास को वीडियो जारी कर अपने बयान पर सफाई दी और माफी भी मांगी.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुमार विश्वास ने रामकथा के दौरान आरएसएस को अनपढ़ और वामपंथियों को कुपढ़ कहा था. कुमार विश्वास की टिप्पणी के बात बीजेपी भड़क गई. मध्य प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राजपाल सिसोदिया ने कहा- ‘कथा करने आए हो कथा करो, प्रमाण पत्र मत बांटो श्रीमान.’

बता दें कालिदास अकादमी परिसर में विक्रमोत्सव के तहत इस रामकथा का आयोजन 21 से 23 फरवरी तक आयोजन किया गया है. कथा सुनाने के लिए मंगलवार को कवि कुमार विश्वास उज्जैन पहुंचे थे.  

कुमार विश्वास ने दी सफाई
विवाद बढ़ने पर कुमार विश्वास ने एक वीडियो जारी कर पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा- कल शिप्रा के तट पर उज्जैनी में बहुत खराब स्वास्थ्य और बुखार के बावजूद, मैं बाबा महाकाल की कृपा से दो घंटे से अधिक समय तक रामकथा कह सका.कथा प्रसंग में मेरे कार्यालय में काम करने वाले एक बालक पर मैंने टिप्पणी की.संयोग से वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काम करता है.पढ़ता-लिखता कम है, बोलता ज्यादा है.मैंने उससे कहा कि तुम पढ़ा-लिखा करो.वामपंथी कुपढ़ है और तुम अनपढ़ हो.सिर्फ इतनी-सी बात थी.इसे कुछ विघ्नसंतोषियों ने ज्यादा फैला दिया.

रामकथा भंग कौन करता है
कुमार विश्वास ने कहा, ‘आज मुझे कुछ समाचार मिले कि कुछ मित्रों ने कहा कि हम इस कथा को भंगे करेंगे. तो भाई एक बात याद रखिएगा कि रामकथा भंग कौन करता है.’ उन्होंने लोगों से अनुरोध किया है कि रामकथा में पहुंचे. उन्होंने कहा, ‘मैं जो बोल रहा हूं,  उसका अर्थ आप वही लगाए जो मैं बोल रहा हूं, अगर आप दूसरा अर्थ निकालते हैं, तो उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं. आपकी सामान्य बुद्धि में अगर यह प्रसंग किसी और तरीके से चला गया है तो उसके लिए मुझे माफ करें.’

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