Shivsena की पहली कार्यकारणी बैठक में सवारकर को भारत रत्न देने समेत उठे कई मुद्दे, जानें किन-किन बातों को लेकर की गई चर्चा

Shivsena party: 17 फरवरी को चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान उद्धव ठाकरे से छिन गया था. अपने 78 पेज के फैसले में निर्वाचन आयोग ने कहा था कि विधानमंडल के सदन से लेकर संगठन तक में बहुमत शिंदे गुट के ही पक्ष गया है.

Reported By Dy. Editor, SACHIN RAI, 8982355810

Shivsena की पहली कार्यकारणी बैठक में सवारकर को भारत रत्न देने समेत उठे कई मुद्दे, जानें किन-किन बातों को लेकर की गई चर्चा

Shivsena meeting: शिवसेना पार्टी के सीएम एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को होटल ताज में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की, जिसमें कई अहम मुद्दों को लेकर चर्चा की गई. जैसे कि वीर सावरकर को भारत रत्न देने का प्रस्ताव भी रखा गया. सबसे पहले इसकी मांग शिवसेना के लोकसभा दल के नेता सांसद राहुल शेवाले ने की थी. इसके अलावा बैठक में चर्चगेट रेलवे स्टेशन का नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री चिंतामनराव देशमुख के नाम पर करने, राज्य में सभी परियोजनाओं में 80 फीसदी रोजगार भूमिपुत्रों, स्थानीय युवाओं को देने, मराठी भाषा को कुलीन भाषा का दर्जा देने और यूपीएससी एमपीएससी के लिए मराठी छात्रों को मजबूत समर्थन देने का प्रस्ताव रखा गया.

17 फरवरी को चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान उद्धव ठाकरे से छिन गया था. अपने 78 पेज के फैसले में निर्वाचन आयोग ने कहा था कि विधानमंडल के सदन से लेकर संगठन तक में बहुमत शिंदे गुट के ही पक्ष गया है. आयोग के सामने दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावे की पुष्टि के लिए दस्तावेज प्रस्तुत किए थे. एकनाथ शिंदे गुट के पास एकीकृत शिवसेना के टिकट पर जीत कर आए कुल 55 विधायकों में से 40 आमदार यानी विधायक हैं. उद्धव ठाकरे गुट ने सेना पर पारिवारिक विरासत के साथ ही राजनीतिक विरासत का दावा करते हुए 15 विधायकों और आदि दस्तावेज प्रस्तुत किए थे. 23.5 फीसदी वोट ठाकरे गुट के पास थे. शिवसेना के कुल 55 आमदार यानी विधायकों में सिर्फ 15 का समर्थन ठाकरे गुट के पास था.

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