रानी दुर्गावती की जयंती देशभर में धूमधाम से मनाई गई 5 अक्टूबर 1524 को कलिंजर महोबा में जन्मी वीरांगना रानी दुर्गावती मरावी गोंडवाना साम्राज्य की संरक्षिका रहती हुई दुनिया में इतिहास रच कर गई है जो आदिवासी गोंड समाज के लिए एक गर्व की बात है लेकिन इतिहास में गोंडवाना साम्राज्य की मलिका को जो मुकाम हासिल होना चाहिए था वह प्रदेश और देश की सरकार ने कभी भी नहीं किया है
एक औपचारिकता मात्र सरकार और समाज द्वारा किया जाता है जबकि वह मुगल शासकों पर हमेशा अपने जीवन काल में आक्रमणकारी रही हैं आज उनकी जयंती श्रद्धा और आदर के साथ आदिवासी समाज के कुछ संगठनों द्वारा मनाई गई जबलपुर पूर्व में गढ़ मंडला के नाम से प्रसिद्ध रहा है राजा दलपत शाह की धर्मपत्नी बनने के उपरांत बचपन से ही संघर्षपूर्ण और साहसी रही यह वीरांगना अपने आप में एक अद्भुत जीवन शैली की नायिका रही हैं जिन्हें घोषित किया जाना सरकार और समाज के लिए उचित नहीं है क्योंकि किसी भी देश का अतीत ही भविष्य होता है उसकी संस्कृति उसकी कला उसकी सभ्यता उस देश और समाज की पहचान होती है इसीलिए प्रदेश और देश की सरकार को आदिवासियों के प्रति एक गंभीर रूप से विचार कर इतिहास को हमेशा सम्मान के साथ याद करते रहना चाहिए।