Shani shingnapur : शनि शिंगणापुर के बारे में तो आपने सुना ही होगा लेकिन क्या आप जानते हैं वहां शनिदेव की प्रतिमा कैसे स्थापित हुई? वहां चोरी क्यों नहीं होती. आइए जानते इसकी वजह.
Reported By Dy. Editor, SACHIN RAI, 8982355810
Shani dev katha: नवग्रहों में सबसे खतरनाक शनिदेव को माना जाता है क्योंकि जिन लोगों पर भी इनका साया पड़ता है. वे लोग अपनी जिंदगी में परेशान हो जाते हैं. जिन लोगों पर भी शनिदेव की वक्र दृष्टि पड़ती है, उनका नाश निश्चित माना जाता है. भगवान शनिदेव, सूर्यदेव की तरह ही तेजस्वी हैं और वे अपने गुरुदेव शिव जी के ही सामान गंभीर माने जाते हैं. आपने शनिदेव के सबसे प्रसिद्ध मंदिर शनि शिंगणापुर के बारे में तो सुना ही होगा. क्या आप जानते हैं वहां किस तरह से शनि देव की मूर्ति स्थापित हुई. आइए जानते हैं इस पौराणिक कहानी के बारे में.
शिंगणापुर में कैसे आई शनिदेव की प्रतिमा
शिंगणापुर में शनिदेव का प्रसिद्ध मंदिर है. ये महाराष्ट्र के अहमदनगर गांव में है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, श्रावण मास में ज्यादा वर्षा हो रही थी. उस वजह से वहां जल स्तर काफी तेज हो चुका था. इस बारिश में बहते हुए एक काले रंग की विशाल शिला शिंगणापुर के तट पर पहुंच गई. थोड़ी देर बाद वहां गांव को कोई बालक खेलते हुए आया. उसने वहां कीचड़ और पत्थरों पर ही खेलना शुरू कर दिया और उस समय बच्चे ने गलती से उस बड़े पत्थर मार दिया.
शिंगणापुर में क्यों नहीं होती चोरी
शिंगणापुर में जब से शनिदेव विराजे हैं. उसी दिन से वहां चोरी डकैती जैसे कार्य नहीं हुए हैं. ये विश्व का इकलौता ऐसा गांव है जहां घरों में दरवाजे तक नहीं हैं. हालांकि एक दो बार चोरों ने वहां चोरी करने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम हो गए और उन्हें सबक भी मिला.
शनिदेव ने खुद बताया
उस रात शनिदेव गांव के मुखिया के सपने में आए और बताया. उन्होंने कहा कि शिला रूप में स्वयं वे खुद गांव में पधारे हैं. इस बात को सुन कर मुखिया बहुत प्रसन्न हो गए और उन्होंने अगले ही दिन इस सपने के बारे में गांव के सभी लोगों को बताया, फिर बिना इंतजार किए शनिदेव को बैलगाड़ी से लेकर आए और उन्हें गांव में विराजमान किया गया.