12 मई 2022 के दिन कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट्ट की कश्मीर घाटी के बड़गाम ज़िले में हुई हत्या के बाद से दीपिका पंडिता श्रीनगर के अपने दफ़्तर में हाज़िरी लगाने नहीं गई हैं.
पिछले चार महीने से दीपिका को वेतन भी नहीं मिला है. अब तक जैसे-तैसे वो अपना गुज़ारा कर रही थीं लेकिन अब उन्हें अपने रोज़मर्रा के घर ख़र्च के लिए परेशानी झेलनी पड़ रही है.
राहुल की हत्या के ठीक बाद बहुत से कश्मीरी पंडित कर्मचारी अपनी जान बचा कर जम्मू लौट आए. दीपिका भी उनमें से एक हैं.
छह महीने से धरने पर बैठीं दीपिका ने बताया, “हमें सिर्फ़ आश्वासन मिलते हैं और कुछ नहीं मिलता. हम लोग समझ नहीं पा रहे कि सरकार में बैठे क्या कर रहे हैं ये लोग? छह महीने कम समय नहीं होता. हममें से बहुत से कर्मचारियों का वेतन रिलीज़ नहीं हुआ है, मेरा ख़ुद का चार महीने का वेतन बंद है. हमारे घर में भी बूढ़े माँ बाप हैं, उनकी दवाइयों का ख़र्चा, सबके बच्चे हैं. हम उनकी दवाइयों के लिए कहाँ से पैसा लाएं कि उनका इलाज़ हो, कैसे अपना गुज़ारा करें?”
सरकार के दावों की पोल खोलते हुए दीपिका कहती हैं, “अभी तक मैं श्रीनगर में एक किराए की मकान में रह रही हूँ, किराया भर रही हूँ. सरकारी आवास अभी तक हासिल नहीं हुआ है. 6-7 हज़ार किराया देने के बाद भी लगता है हमारी कोई सुरक्षा नहीं है. लोकल पब्लिक ट्रांसपोर्ट से हम सफ़र करते हैं, हम कहीं भी चलें जाएँ हमारी कोई सुरक्षा नहीं है.”