CM शिवराज ने अंग्रेजी के बोर्ड बदलने के निर्देश दिए, बोले दवा का नाम हिंदी में क्यों नहीं लिख सकते

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के भारत भवन में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित हिंदी की व्यापकता एक विमर्श कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि मुझे लगा कि हिंदी में मेडिकल पाठ्यक्रम के शुभारंभ के पूर्व हिंदी के बारे में व्यापक विमर्श करना चाहिए। मुझे प्रसन्नता है कि इस विमर्श में आज पूरा भोपाल बैठा है। समाज का हर वर्ग बैठा है। हमारे चिकित्सक मित्र, अस्पताल और मेडिकल कॉलेज संचालक भी बैठे हैं। उन्होंने कहा कि हम व्यवहारिक नहीं होेंगे तो फेल हो जाएंगे। जो शब्द चलन में हैं उन्हें उसी प्रकार चलने दो। अगर हम हर एक शब्द का हिंदी में अनुवाद कहीं से ढूंढकर लाएंगे तो लोग समझ ही नहीं पाएंगे। इसलिए चालू शब्द को चलने देना है। 

 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

सीएम ने कहा कि मुझे ज्यादा कुछ कहना नहीं है। क्योंकि हमें करना है। सीएम ने कहा मैं मानता हूं कि हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई के रूप में भोपाल से नए युग का प्रारंभ हो रहा है। आज आपसे बात करके बहुत आनंदित इसलिए हूं कि यह चीज नीचे तक जाना चाहिए। यही इसका उद्देश्य है। यह भाव नीचे तक जाएगा और दृढ़मूल होगा। 
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कार्यक्रम में दीप प्रज्वलित करते मुख्यमंत्री

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कार्यक्रम में दीप प्रज्वलित करते मुख्यमंत्री

सीएम ने कहा कि मैं कई देशों की यूनिवर्सिटी में हिंदी में भाषण देकर आया। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि जब मैं हिंदी में भाषण देता था तो मुझे इज्जत और सम्मान के साथ देखा जाता था। सीएम ने कहा कि यह एक सामाजिक क्रांति है। गरीब से गरीब का बेटा भी अब मेडिकल की पढ़ाई के बारे में सोच सकेगा। कुछ भी असंभव नहीं है। जब मैंने घोषणा की थी तो कुछ लोग मुंह पीछे कर के हंस रहे थे लेकिन अब हमने कर के दिखा दिया है।

हिंदी विमर्श कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

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हिंदी विमर्श कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अंग्रेजी के विरोधी नही हैं, लेकिन राष्ट्रभाषा के प्रति जागरूकता जरूरी है। आज यह मानसिकता गलत है कि अंग्रेजी के बिना काम नहीं हो सकता है। मैंने कई मेडिकल कॉलेज के बच्चों को सिर्फ इसलिए मेडिकल कॉलेज छोड़ते देखा है क्योंकि उसकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है।  

सीएम ने कहा कि रूस, जापान, जर्मनी, चाइना जैसे देशों में कौन अंग्रेजी को पूछता है? हम ही गुलाम हो गए। यहां गांव गांव में डॉक्टर की जरूरत है। सीएम ने मजाकिया अंदाज में कहा दवाई के नाम हिंदी में क्यों नहीं लिखे जा सकते। इसमें क्या दिक्कत है। उन्होंने कहा कि दवाई का नाम क्रोसिन लिखा है तो क्रोसिन हिंदी में भी लिखा जा सकता है। उसमें क्या दिक्कत है? ऊपर श्री हरि लिखा और नीचे क्रोसिन लिखा दो। उन्होंने कहा कि यहां डॉक्टर मित्र बैठे हैं वो तरीके निकालेंगे।

कार्यक्रम में अंग्रेजी में बोर्ड का मुद्दा उठा। इस पर सीएम ने आश्वस्त किया कि आने वाले समय में बोर्ड हिंदी में लगवाएंगे। सीएम ने कहा कि मुझे एक नौजवान बड़ा दु:खी सा मिला। मैंने कहा क्या बात है तो उसने कहा कि मेरे फादर डेड हो गए। मतलब सब को लगता है कि अंग्रेजी कैसे भी बोलो अंग्रेजी आनी चाहिए।

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