उमरिया में एक महिला ने मृत बच्चे को जन्म दिया है। उसकी गर्दन धड़ से अलग थी। यह देखते ही महिला के परिजनों ने हंगामा किया। उनका कहना था कि ऐसा लग रहा है कि प्रसव के दौरान जोर-जबरदस्ती की गई। इससे ही उसके अंग-भंग हुए हैं। हंगामा बढ़ा तो पुलिस के साथ तहसीलदार अस्पताल पहुंचे। उन्होंने वीडियोग्राफी करवाई। पोस्टमॉर्टम कराया गया और जांच कमेटी बिठाई गई है।
उमरिया जिला अस्पताल
ब्लीडिंग की शिकायत पर किया था भर्ती
मामला उमरिया के जिला अस्पताल का है। मृत बेटे के पिता सत्यनारायण गुप्ता का कहना है कि दो दिन पहले मेरी पत्नी को ब्लीडिंग होने लगी। मैं डॉ. रश्मि धनंजय के पास गया तो बताया गया कि वह यहां नहीं है। बाहर गई है। ज्योति मैडम को दिखाओ। उन्होंने दो इंजेक्शन लगवाए। एक घंटे बाद भी पत्नी को दर्द हो रहा था। उसके बाद दवा दी गई तो भी दर्द कम नहीं हुआ। एक दिन पहले भर्ती किया। एक इंजेक्शन लगाने के बाद कुछ नहीं किया गया। पत्नी वैसी ही पड़ी रही। दवाई तक नहीं दिया। ब्लीडिंग बढ़ गई। डॉक्टर ने जांच की तो बोले कि बच्चा नहीं रहा। अब बच्चा दिया तो उसकी गर्दन शरीर से अलग है। यह कैसे हो सकता है। अस्पताल में मशीनें तक नहीं हैं।
हंगामा कर रहे परिजनों का पक्ष जानने की कोशिश करते हुए पुलिसकर्मी
हंगामे के बाद पहुंचे अधिकारी
हंगामे को देखते हुए अपर कलेक्टर के निर्देश पर पुलिस के साथ बांधवगढ़ के तहसीलदार एआर चिरावन मौके पर पहुंचे। उन्होंने पीड़ित पक्ष को सुना। उन्हें आश्वस्त किया कि मामले की जांच की जाएगी। बच्चे की लाश की वीडियोग्राफी करवाई गई। पोस्टमार्टम करवाया गया। जल्द ही सच सामने आएगा।
सिविल सर्जन ने दिया जांच का आश्वासन
सिविल सर्जन केसी सोनी ने बताया कि मैंने खुद गायनेकोलॉजिस्ट से बात की है। बच्चा 48 घंटे पहले ही खत्म हो गया था। उसके बाद ही ब्लीडिंग शुरू हुई थी। अंदर ही उसका शरीर सड़ने लगा था। अगर गर्दन धड़ से अलग दिख रही है तो उसकी वजह लाश का अंदर ही सड़ना है। महिला को बचाने के लिए हमें जल्द से जल्द उसे बाहर निकालना पड़ा। अब इस मामले में लापरवाही की गई है या नहीं, इसका पता तो जांच के बाद ही चल सकेगा। हमने कमेटी बनाई है। जल्द ही सभी पक्षों को सुनने के बाद रिपोर्ट आएगी। तब ही कहा जा सकेगा कि लापरवाही हुई है या नहीं।