कटारा हिल्स निवासी जेआर खाकर 89 के निधन के बाद उसके परिजनों को देहदान करने के लिए 15 घंटे से अधिक परेशान होना पड़ा एम्स में मृतक ने 2015 में देहदान का संकल्प फॉर्म भरा था उन्हें आईडी भी दी गई थी उनके बेटे ने एम्स में संपर्क किया तो डॉक्टरों ने यह कहकर देहदान लेने से इनकार कर दिया कि पहले उनकी मौत के संबंध में डॉक्टर का डेट डिक्लेरेशन सर्टिफिकेट दे बाद बाद में खटावकर का देहदान एलएनसीटी मेडिकल कॉलेज में हो सका बेटे विलीन काटावर ने बताया कि एम्स में एप्रोच करने करने पर कई शर्ते बता दी गई उनके सामने समस्या थी कि घर में हुई नेचुरल डेथ का सर्टिफिकेट कहां से लाते परिवार में किसी की मौत के बाद मानसिकता इस तरह नहीं रह पाती कि अलग से किसी तरह का विचार कर सके इस कारण एम्स में देहदान नहीं हो सका