ग्राम पंचायत खैरी यहां बताया गया कि पहली बार जीतने के बाद जनप्रतिनिधि पहले आप है

जनसंपर्क के लिए हम पहुंचे ग्राम पंचायत खैरी यहां बताया गया कि पहली बार जीतने के बाद जनप्रतिनिधि पहले आप है जो सुनने आएं हैं बहुत स्वागत सत्कार हुआ यह ग्राम जनपद पंचायत छपारा ज़िला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 12 विधानसभा केवलारी संसदीय क्षेत्र मंडला के अंतर्गत आता है यह गांव की विशेषता यह भी है कि यहां नेता नगरी काफी है यहां से तहसील मुख्यालय छपारा की दूरी लगभग 03 कि.मी. है यहां जब हमने लोगो की समस्याएं सुनी तो बहुत ही पीड़ा हुई की विकास बहुत दूर है जो मांगे बहुत दिनों से की जा रही होंगी वो आज तक पूरी नही हुई है वहीं फिर हमारे सामने आई नाली, सड़क, खेल मैदान, शिक्षा, पीने के शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, मोहल्ले में बिजली कटौती और बिजली की उपलब्धता चूंकि ये समस्याएं ग्रामीण विकास विभाग एवं पंचायत राज/ ग्राम स्वराज्य कानून के माध्यम से अब तक हल हो जानी चाहिए थी जो आज तक नही हुई है लोगो का यहां यह भी कहना था कि गरीबों के साथ भेदभाव बहुत होता है काम होने नही दिए जाते कोइ नही सुनता अधिकारी कर्मचारि भी नहीं सुनते हम यह मांगे कई दिनो से करते आ रहे हैं इस कार्यक्रम में अध्यक्षता सदम सिंह बरकड़े जी जनपद अध्यक्ष ने किया वहीं मुख्य अतिथि रावेन शाह उइके गोंडवाना को बनाया था! मैं रावेन शाह उइके गोंडवाना कहता चाहता हूं कि सरकारें आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रही है बड़े बड़े वादे और जुमले फेके जा रहे हैं देश का प्रधानमंत्री की भी बात कर रहे हैं भाषणवीर बन गए हैं लेकिन काम की बात क्यों नही कर रहे हैं वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछली कांग्रेस की सरकार की तरह आपने भी ग्रामीण जनता को आजतक मूलभूत सुविधा उपलब्ध नही करा पाए है यह तानाशाही रवैया भाजपा सरकार का बरकरार है आपको कुर्सी का लोभ छोड़ कर गांव में रुककर देखना चाहिए आपको पता चल जाएगा मनरेगा में काम करने वाले मजदूर, किसान और बिना, बिजली पानी की जिंदगी कितनी कष्टप्रद होती है जबकि जनता की तमाम समस्यायों को हल करने की शपथ ग्रहण लिया है आपने फिर जनता से बैमानी क्यों होती आ रही है! देश का संविधान राज्य सरकार को आदेश करता है कि जनता कि बेहतरी के लिए सरकार जिम्मेदार है और इन सरकारों का दायित्व है कि वह जनता के कल्याण हेतु आवश्यक व्यवस्था करे और जनता की समस्या का हल निकाले फिर भी जनता में अंग्रेजों के समय की समस्या आज भी जिन्दा है आखिर कब तक चलेगा सरकार!

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