(विजय काटकर)
ये जमीं किसी की
ना ये आसमां किसी का,
कुदरत की कायनात में
फना हो जो हक उसी का.
हैै लडाई इस जहां में
हैवानियत और इंसानियत की,
है मुहब्बत जिसके अंदर
वो खुदाई है, खुदा सभी का.
नहीं है बर्दास्त उसे कभी
जुल्म ओ सितम किसी पे,
हर जानदार चींज को
होना है फना कभी का.
है गुमान, गुरूर क्यूं तूझे
यहां खुद पर,
सदियां लग जाती हैंं
घर, घौसंले बनाने में सदी का.
मृतक महिला पुलिसकर्मी की पहचान बानू नेगर के नाम से हुई है। यह घटना शनिवार रात 10 बजे की बताई जा रही है। इस इलाके में तालिबान का खौफ इतना ज्यादा है कि घटना के बारे में कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। यह हत्या अफगानिस्तान में महिलाओं के बढ़ते दमन की बढ़ती खबरों के बीच हुई है।
अफगानिस्तान में फतह हासिल करने के बाद शांति का दिखावा कर रहे तालिबान का असली चेहरा धीरे-धीरे अब सामने आने लगा है। तालिबान लड़ाकों ने घूर प्रांत के फिरोजकोह में एक महिला पुलिसकर्मी की उसके पति और बच्चों के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दी। यह महिला पुलिस अधिकारी आठ महीने की गर्भवती भी बताई जा रही है। इसके बावजूद इन कट्टरपंथी दरिंदों का दिल नहीं पसीजा।
महिला का चेहरा बिगाडा
बीबीसी के हवाले से रिपोर्ट किया गया है कि तालिबान ने शनिवार को बानू नेगर को उसके पति और बच्चों के सामने ही पीट-पीट कर मार डाला। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिश्तेदारों ने एक कमरे के कोने में दीवार पर खून के छींटे और एक शरीर दिखाते हुए कुछ फोटो दिए हैं। इनमें महिला पुलिस अधिकारी का चेहरा बुरी तरह से विकृत दिखाई दे रहा है।
तलाशी लेकर गर्भवती महिला पुलिस अधिकारी की हत्या
परिवार का कहना है कि स्थानीय जेल में काम करने वाली बानू आठ महीने की गर्भवती थी। रिश्तेदारों का कहना है कि शनिवार को तीन बंदूकधारी घर पहुंचे और परिवार के सदस्यों को बांधने से पहले उसकी तलाशी ली। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि घुसपैठियों को अरबी बोलते हुए सुना गया।
घटना में शामिल होने से तालिबान ने किया इनकार
तालिबान ने बीबीसी को बताया कि नेगर की मौत में उनकी कोई संलिप्तता नहीं है और वे इस घटना की जांच कर रहे हैं। प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हम घटना से अवगत हैं और मैं पुष्टि कर रहा हूं कि तालिबान ने उसे नहीं मारा है, हमारी जांच जारी है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने पहले ही पिछले प्रशासन के लिए काम करने वाले लोगों के लिए माफी की घोषणा कर दी थी, और नेगर की हत्या को ‘व्यक्तिगत दुश्मनी या कुछ और’ में डाल दिया।
अफगानिस्तान की जमीन का किसी भी रूप में आतंकवाद के लिये इस्तेमाल न हो – भारत, ऑस्ट्रेलिया
विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों क्रमश: मारिस पायने और पीटर डटन के साथ यहां पर आरंभिक ”टू-प्लस-टू” वार्ता की । विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी बातचीत को ‘सार्थक’ बताया ।
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने शनिवार को इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान की जमीन का किसी भी रूप में आतंकवाद के लिये इस्तेमाल किये जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और उसे दोबारा आतंकवादियों की “शरणस्थली” कभी नहीं बनने दिया जाए । दोनों देशों ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद उत्पन्न स्थिति को लेकर विस्तृत चर्चा की । भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आरंभिक ”टू-प्लस-टू” वार्ता में स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अपने साझा दृष्टिकोण और बिना किसी समझौते के आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व पर जोर दिया. इस क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रामकता में वृद्धि देखी गई है । दोनों देशों के बीच यह वार्ता उस दिन हुई है, जब 9/11 आतंकी हमले की 20वीं बरसी है, जिसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया था ।
70 फीसद मुख्य सड़कों पर तालिबान का कब्जा
अहमद मसूदने अफगानिस्तान नहीं छोड़ा है. ईरान की समाचार एजेंसी एफएआरएस ने सूत्र के हवाले से कहा कि पंजशीर की 70 फीसदी मुख्य सड़कों पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है ।
अफगान प्रतिरोध बलों के नेता अहमद मसूद ने अफगानिस्तान नही छोडा है ईरान की समाचार एजेंसी एफएआरएस ने शनिवार को एक स्रोत के हवाले से यह जानकारी दी है । सूत्र के मुताबिक, मसूद के मध्य एशियाई देश छोड़कर तुर्की या किसी अन्य स्थान पर जाने की अफवाहें झूठी हैं. बताया जा रहा है कि प्रतिरोध के नेता सुरक्षित जगह पर हैं और पंजशीर घाटी के संपर्क में है । सूत्र ने यह भी कहा कि पंजशीर की 70 फीसदी मुख्य सड़कों पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है ।
तालिबान ने दावा किया है कि उन्होंने अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत पर कब्जा कर लिया है, जो देश में प्रतिरोध का आखिरी गढ़ है । वही अफगानिस्तान के राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा (एनआरएफ) ने इस दावे का खंडन किया है ।