भोपाल भारत का एक लोटा शहर है जहां सरकारी संरक्षण में अलग-अलग भाषा और लोक कला संवाद से जुड़ी करीब 10 साहित्यिक सांस्कृतिक अकादमी चल रही है इनमें हिंदी उर्दू के अलावा संस्कृत पंजाबी हिंदी मराठी और भोजपुरी साहित्य को भी प्रोत्साहन दिया जाता है इसके अलावा मध्यप्रदेश शासन साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में 23 राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सम्मान देता है यहां ना केवल पुराने पुस्तकालय हैं बल्कि भोपाल अपने पठन-पाठन की विरासत को सहेजने के साथ-साथ नए आयाम भी जोड़ रहा है इसे आधार बनाकर भोपाल को विश्व स्तर के साहित्य का रचनात्मक शहर घोषित कराने की दावेदारी की जाएगी