प्रकृति को हमें संरक्षित करना चाहिए हमारे वेद व शास्त्रों में प्रकृति की वंदना बतलाई गई है और संतों ने प्रकृति को संरक्षित करने का ज्ञान हमे अपने गुरुकुल में दिया हम सभी भक्त व शिष्य अपने जीवन मै पाँच-पाँच फलदार व औषधि युक्त पौधे संरक्षित अवश्य करें हरियाली अमावस्या के पावन अवसर पर श्री दादाजी धूनीवाले दरबार श्यामला हिल्स भोपाल की बगिया में साधक संत श्री दादा भाई के सानिध्य में फलदार व औषधि युक्त पौधो का रोपण किया गया व पौधो के गुणो पर प्रकाश डाल कर शिष्यो को बतलाया गया सनातन धर्म मे पौधो को पुत्र रूप मे माना गया व मोक्ष , मृत्यु पर विजय दिलाते है व पौधे जीवो को जीवन प्रदान करने वाला बतलाया गया है आम को पुत्र रूप मे व्रतबन्ध किया जाता है आमला नवमी को आवले के पौधे को भगवान नारायण स्वरूप मानकर पूजा जाता है वरगद के पौधे को वट सावित्री के दिन पत्नी अपने पति की दीर्घायु की कामना कर पूजा करती है जामुन – ईमली व पंच पल्लव हमारे सनातन धर्म मे लगाये जाते है और उनका हमारे धर्म के वेद व शास्त्रो मे विषेश महत्व बतलाया गया है