तालिबान सरकार बनाने से पहले ही बवाल, हक्कानी नेटवर्क और मुल्ला उमर के बेटे में झड़प?

(विजय काटकर)

तालिबान सरकार बनानेे में आ रही अडचनो को लेकर अफगानिस्‍तान में तालिबानी नेताओ के बीच जहां घमासान मचा हुआ है वही तालिबानी सरकार को बनाने को लेकर पाकिस्‍तान की दखलअंदाजी बढती जा रही है वही पंजशीर में तालिबान को मुंह की खाना पड रही है क्‍योकि नार्दन एलायंस लडाको द्वारा पंजशीर में उसके आतंकियो को ढेर किया जा रहा है ताजा मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पजंशीर में तालिबान के 500 से ज्‍यादा आतंकी 24 घंटो में जहां मारे जा चुके है वही लगभग 1000 आतंकियो को पंजशीर की घाटी में पहाड फोडकर रास्‍ते बंद कर दिये गये है जिससे यह आतंकी बुरी तरह फस चुके है । उनका निकलना वहा से दुभर हो गया है । अब देखना यह है कि इन फंसे हुए तालिबानी आतंकियो का हश्र क्‍या होता है ? या तो इन्‍हे नादर्न एलायंस के सामने घुटने टेकना होंगे या इन्‍हे मौत के घाट उतारा जा सकता है ?

पंजशीर में तालिबानियो का बुरा हश्र होना भी सरकार बनाने में अडचन साबित हो रही है क्‍यो कि दुनिया के अधिकतर देश तालिबानी सरकार को मान्‍यता देने से हिचक रहे है ।

तालिबान सरकार बनानेे में आ रही अडचनो को लेकर अफगानिस्‍तान में तालिबानी नेताओ के बीच जहां घमासान मचा हुआ है वही तालिबानी सरकार को बनाने को लेकर पाकिस्‍तान की दखलअंदाजी बढती जा रही है वही पंजशीर में तालिबान को मुंह की खाना पड रही है क्‍योकि नार्दन एलायंस लडाको द्वारा पंजशीर में उसके आतंकियो को ढेर किया जा रहा है ताजा मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पजंशीर में तालिबान के 500 से ज्‍यादा आतंकी 24 घंटो में जहां मारे जा चुके है वही लगभग 1000 आतंकियो को पंजशीर की घाटी में पहाड फोडकर रास्‍ते बंद कर दिये गये है जिससे यह आतंकी बुरी तरह फस चुके है । उनका निकलना वहा से दुभर हो गया है । अब देखना यह है कि इन फंसे हुए तालिबानी आतंकियो का हश्र क्‍या होता है ? या तो इन्‍हे नादर्न एलायंस के सामने घुटने टेकना होंगे या इन्‍हे मौत के घाट उतारा जा सकता है

दावा यहां तक किया जा रहा है कि हक्कानी नेटवर्क के नेता अनस हक्कानी और खलील हक्कानी का तालिबान के नेता मुल्ला बरादर और मुल्ला याकूब के साथ झड़प भी हुई है। हालांकि, इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं की जा सकी है। हक्कानी नेटवर्क सरकार में बड़ी हिस्सेदारी और रक्षा मंत्री का पद मांग रहा है।

अफगानिस्तान पर फतह पाने के 18 दिन बाद भी तालिबान अपनी सरकार का ऐलान नहीं कर सका है। तालिबान के नेता पिछले कई दिनों से सरकार गठन के लिए नई-नई तारीख बता रहे हैं। इस बीच ऐसी भी खबरें हैं कि सरकार गठन से पहले ही तालिबान में आंतरिक स्तर पर जबरदस्त घमासान मचा है। हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच कुर्सी की रस्साकस्सी इतनी बढ़ गई है कि पाकिस्तान ने इस मसले को सुलझाने के लिए अपने खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद को काबुल भेजा है।

हक्कानी और तालिबान नेताओं में झड़प

दावा यहां तक किया जा रहा है कि हक्कानी नेटवर्क के नेता अनस हक्कानी और खलील हक्कानी का तालिबान के नेता मुल्ला बरादर और मुल्ला याकूब के साथ झड़प भी हुई है। हालांकि, इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं की जा सकी है। हक्कानी नेटवर्क सरकार में बड़ी हिस्सेदारी और रक्षा मंत्री का पद मांग रहा है, जबकि तालिबान इतना कुछ देने को तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि यही कारण है कि तालिबान अबतक अपनी सरकार का ऐलान नहीं कर सका है।

तालिबान रोज बदल रहा है सरकार बनाने की तारीख

अफगानिस्तान फतह करने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि तालिबान अपनी नई सरकार का ऐलान जल्द से जल्द कर देगा। उसके बाद यह बताया गया कि तालिबान अफगान जमीन से अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी का इंतजार कर रहा है। इसके बाद तालिबान प्रवक्ता ने नई तारीख देते हुए बताया कि शुक्रवार को हम अपनी सरकार का ऐलान करने जा रहे हैं। ऐसे में सबको यह लगने लगा कि जुमे की नमाज के बाद यह आतंकी संगठन अफगानिस्तान में अपने इस्लामिक अमीरात का ऐलान करेगा। खैर, शुक्रवार भी बीत गया और अभी तक तालिबान अपनी सरकार का औपचारिक घोषणा नहीं कर सका है।

हक्‍कानी और तालिबान में चंदे को लेकर तकरार

एक कारण यह भी है कि तालिबान ने कबायली और क्षेत्रीय सरदारों से एक बड़ी राशि चंदे के रूप में एकत्रित की है। इस राशि का उपयोग अफगानिस्तान फतह के दौरान किया जाना था। अब काबुल पर भी तालिबान का कब्जा हो चुका है तो इस पैसे में हक्कानी नेटवर्क अपना हिस्सा मांग रहा है। वहीं, मुल्ला याकूब एक पैसा भी हक्कानी नेटवर्क को नहीं देना चाहता है।

बवाल की वजह बना हुआ है तालिबान सैन्‍य आयोग

दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय और हक्कानी नेटवर्क के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब शक्तिशाली तालिबान सैन्य आयोग के प्रमुख की भूमिका निभाना चाहता है। उसका काम तालिबान के फील्ड कमांडरों के एक विशाल नेटवर्क की देखरेख करना होगा। तालिबान सरकार में यह पद बहुत की शक्तिशाली और सम्मानित माना जाता है।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख जनरल फैज हमीद अचानक पहुंचे काबुल, सरकार बनाने में दखलअंदाजी

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख जनरल फैज हमीद औचक यात्रा पर शनिवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचे. पाकिस्तान के दो अधिकारियों ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर यह जानकारी दी. हालांकि, अब तक स्पष्ट नहीं है कि जनरल फैज हमीद ने शनिवार को तालिबान नेतृत्व से क्या बातचीत की, लेकिन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का तालिबान पर काफी प्रभाव माना जाता है

तालिबानी नेतृत्व का मुख्यालय पाकिस्तान में था और अक्सर कहा जाता है कि उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘इंटर सर्विसज इंटेलीजेंस एजेंसी’ (आईएसआई) से सीधे संबंध है. यह अलग बात है कि पाकिस्तान नियमित तौर पर तालिबान को सैन्य सहायता देने से इनकार करता रहा है, लेकिन अफगान सरकार और वाशिंगटन आरोप लगाते रहे हैं कि तालिबान को पाकिस्तान की मदद मिल रही है

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