मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूक और सक्रिय बनने की प्रेरणा दी है। उन्होंने इस दिन को पृथ्वी के प्रति कर्तव्यों की याद और संकल्प का दिन बताया। अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने एक वैदिक मंत्र उद्धृत करते हुए पृथ्वी की महानता और पोषणकारी स्वरूप को रेखांकित किया:
“यस्यां समुद्र उत सिन्धुरापो यस्यामन्नं कृष्टयः संबभूवुः।
यस्यामिदं जिन्वति प्राणदेजत्सा नो भूमिः पूर्वपेये दधातु॥”

मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे पौधारोपण को अपनाएं और पृथ्वी को हरा-भरा व सुंदर बनाने में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने पृथ्वी को “जननी” कहा और उसके संरक्षण को धर्म बताया। उनका संदेश एक भावनात्मक और सांस्कृतिक आह्वान है कि हम सब मिलकर अपने ग्रह की रक्षा करें और उसे फिर से हरियाली से आच्छादित करें।सारांश में, उनका यह वक्तव्य एक प्रेरणादायक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संदेश है, जो प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और सामूहिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।