
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर जो हाल ही में घटनाक्रम हुआ है, वह भारत की संसदीय राजनीति और संवैधानिक विवेकशीलता का एक अहम उदाहरण है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
क्या है वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025?
यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन से जुड़े कानून में कुछ नए प्रावधान जोड़ता है या पुराने में बदलाव करता है। इसका उद्देश्य कथित रूप से वक्फ बोर्डों की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना बताया गया है, लेकिन इसकी कुछ धाराओं को लेकर विवाद गहराया है।
संसद में पारित होना:
- लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बिल पर देर रात तक गहन चर्चा हुई।
- विपक्ष के विरोध के बावजूद बिल पारित हो गया और अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया है।
विपक्ष की आपत्ति और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती:
- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने इस विधेयक की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
- उनका तर्क है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकार जैसे विषयों में।
अर्थ और प्रभाव:
- यह मामला संविधान के अनुच्छेद 25 से 30 के अंतर्गत धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की व्याख्या और सीमा को एक बार फिर रेखांकित कर सकता है।सुप्रीम कोर्ट का निर्णय न केवल इस कानून की वैधता तय करेगा, बल्कि आने वाले समय में सरकार और अल्पसंख्यकों के बीच शक्ति-संतुलन पर भी असर डालेगा।