म्यांमार में आए इस भीषण भूकंप से भारी जानमाल के नुकसान की आशंका है। 7.7 और 6.4 तीव्रता के झटके बेहद खतरनाक होते हैं, और खासकर जब भूकंप की गहराई केवल 10 किलोमीटर हो, तो इसका प्रभाव सतह पर और भी विनाशकारी होता है।म्यांमार में भूकंपों का आना आम बात है, क्योंकि यह क्षेत्र सागांग फॉल्ट के पास स्थित है, जो एक प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट सीमा है। भारतीय प्लेट और बर्मा माइक्रोप्लेट की गतिशीलता इस क्षेत्र को अत्यधिक भूकंपीय रूप से सक्रिय बनाती है।थाईलैंड के बैंकॉक तक झटकों का महसूस किया जाना इस भूकंप की तीव्रता को दर्शाता है। इस भयानक आपदा में हताहत हुए लोगों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं, और आशा करते हैं कि राहत एवं बचाव कार्य तेजी से किए जाएंगे ताकि अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके।

म्यांमार में 28 मार्च 2025 को दो शक्तिशाली भूकंप आए, जिनकी तीव्रता क्रमशः 7.7 और 6.4 मापी गई। इन भूकंपों का केंद्र सगाइंग क्षेत्र में, मांडले शहर के निकट स्थित था, और इनकी गहराई लगभग 10 किलोमीटर थी। इन भूकंपों के परिणामस्वरूप म्यांमार और पड़ोसी देशों में व्यापक क्षति हुई। म्यांमार में कई इमारतें ढह गईं, जिससे कई लोगों की मौत हुई और अनेक घायल हुए। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी झटके महसूस किए गए, जहां एक निर्माणाधीन गगनचुंबी इमारत गिरने से कम से कम एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और दर्जनों मजदूर मलबे में फंस गए। की भौगोलिक स्थिति इसे भूकंप के प्रति संवेदनशील बनाती है। यह क्षेत्र इंडो-यूरेशियन प्लेट और बर्मा माइक्रोप्लेट के बीच स्थित सगाइंग फॉल्ट के निकट है, जो एक प्रमुख टेक्टोनिक सीमा है। इस कारण, यहां भूकंप की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं।भूकंप के बाद, म्यांमार सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में आपातकाल घोषित किया है और राहत एवं बचाव कार्य जारी हैं। स्थानीय अधिकारियों ने नागरिकों से सतर्क रहने और आफ्टरशॉक्स की संभावना के मद्देनजर सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की है।