महाधिवक्ता प्रशांत सिंह के विरुद्ध कोवारंटो याचिका दायर


👉 ओबीसी एडवोकेट वेल्फेयर एसोसिएशन ने दायर किया जन हित याचिका
👉 महाधिवक्ता के विरूध दायर याचिका क्रमांक WP/ 11903/2025(pil) की 04/04/2024 क़ो होंगी प्रथम सुनवाई !
👉 जबलपुर दिनांक 1 अप्रैल 2025:-

जबलपुर I मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में मध्य प्रदेश सरकार की ओर से नियुक्त महाधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह को पद पर तीन साल से अधिक हो चुके हैं। याचिका कर्ता एसोसिएशन का आरोप हैं कि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेशो की गलत अर्थांवयन कर ओबीसी आरक्षण के विरोध में अभिमत दिए गए हैं। जिसके कारण प्रदेश की आधे से अधिक आबादी के युवा बेरोजगार हो कर दर दर को ठोकरें खाने मजबूर हैं। दूसरा आरोप यह है कि महाधिवक्ता को राज्य निधि से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशो के बराबर वेतन दिया जाता है फिर भी श्री प्रशांत सिंह एवं उनके सहयोगी अन्य शासकीय अधिवक्ताओं ने मध्य प्रदेश सरकार के कई विभागों से पैरवी के नाम पर प्रति पेशी पाँच लाख रुपयों तक वसूल किए गए हैं। अकेले नर्सिंग काउंसिल एवं मेडिकल यूनिवर्सिटी से तीन करोड़ रुपयों से अधिक राशि वसूल किए हैं। तथा विधिक अभिमतों के नाम से भी करोड़ो रुपए वसूल किए गए हैं। जबकि मध्य प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि सरकार के विधि अधिकारीयों को शासकीय प्रकरणों में पैरवी हेतु वेतन के अलावा पृथक से राशि देय नहीं होगी। लेकिन श्री प्रशांत सिंह ने अपने पद एवं पावर का दुरुपयोग कर सरकारी विभागों सहित निगम मंडलों से पैरवी तथा अभिमत के नाम पर व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार करते हुए राशि वसूल किया है। उन पर तीसरा आरोप है कि महाधिवक्ता ने संवैधानिक एवं वैधानिक रूप से अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया है। तथा संविधान में निहित उद्देश्यों विपरीत समुदाय विशेष के प्रति दुर्भावना पूर्वक कार्य किए गए हैं तथा महाधिवक्ता कार्यालय में विधि अधिकारीयों की नियुक्तियों में किसी वैधानिक प्रक्रिया का पालन किए बिना खुल्लम खुल्ला भाई भतीजा वाद कर नियुक्तियां कराई गई हैं। मौजूदा विधि अधिकारीयों में ओबीसी, एससी, एसटी और महिलाओं का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं किया गया है। जब कि महाधिवक्ता कार्यालय में विधि अधिकारीयों की नियुक्तियों में महाधिवक्ता की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं। महाधिवक्ता की ही अनुशंसा पर महाधिवक्ता कार्यालय में विधि अधिकारीयों की नियुक्तियाँ की जाती है।
इसलिए वो महाधिवक्ता के संवैधानिक पद पर बने रहने के अधिकारी नहीं हैं। याचिकाकर्ता ओबीसी एडवोकेट वेल्फेयर एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह एवं उदय कुमार ने याचिका दायर कर महाधिवक्ता के विरुद्ध अधिकारपृक्षा (क्योवररेंटों) रिट जारी करने तथा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 6 के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने की राहत सहित हाई पावर कमेटी गठित कर महाधिवक्ता के कार्यकाल की सूक्ष्मता से जांच कर करवाई कि मांग की गई है। मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आधे से अधिक आबादी को दृष्टिगत रखते हुए संविधान में निहित सामाजिक न्याय की अवधारणा को साकार करने हेतु पिछड़े वर्ग का महाधिवक्ता नियुक्त करने की मांग भी किया गया है। उक्त याचिका की सुनवाई शुक्रवार04/04/25 क़ो होंगी !

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