
लालमोनिरहाट एयरबेस प्रस्ताव: क्या है मामला?
स्थान: लालमोनिरहाट, बांग्लादेश के उत्तर-पश्चिम में स्थित है, जो भारत के पश्चिम बंगाल और असम के काफी नज़दीक पड़ता है।प्रस्ताव: अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने चीन को यहाँ एयरबेस विकसित करने का प्रस्ताव दिया है।रणनीतिक संकेत:यह भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की सुरक्षा को सीधा प्रभावित कर सकता है।यह एयरबेस भारत की “चिकन नेक” यानी सिलिगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक होगा, जो उत्तर-पूर्व भारत को मुख्य भूमि से जोड़ता है।
‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ और इसका मतलब भारत के लिए
स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स: यह चीन की एक रणनीति है जिसके तहत वह हिंद महासागर में एक के बाद एक पोर्ट्स, एयरबेस और मिलिटरी सपोर्ट प्वाइंट बना रहा है — जैसे कि श्रीलंका का हम्बनटोटा पोर्ट, पाकिस्तान का ग्वादर, म्यांमार का क्यौकफ्यू आदि।अब बांग्लादेश में संभावित एयरबेस: इस स्ट्रैटेजी को अब ज़मीन पर भी विस्तार दिया जा रहा है — और वह भारत के पूर्वी मोर्चे को घेरे में लेने की कोशिश हो सकती है।
भारत के लिए खतरे की घंटी क्यों?
- पूर्वोत्तर भारत की नज़दीकी: लालमोनिरहाट एयरबेस भारत के पूर्वोत्तर की नाजुक सुरक्षा स्थिति को खतरे में डाल सकता है।
- इंडो-पैसिफिक रणनीति में सेंध: भारत क्वाड (QUAD) जैसे इंडो-पैसिफिक सुरक्षा गठबंधनों का हिस्सा है। चीन की उपस्थिति, भारत की सामुद्रिक पकड़ को भी कमजोर कर सकती है।
- बांग्लादेश की नीति में बदलाव: पहले संतुलित नीति रखने वाला बांग्लादेश अब चीन की ओर झुकता दिख रहा है। यह एक डिप्लोमैटिक चैलेंज बन सकता है।
भारत की संभावित प्रतिक्रिया
- डिप्लोमैटिक एंगेजमेंट: भारत बांग्लादेश से उच्चस्तरीय कूटनीतिक वार्ता कर सकता है।
- काउंटर-इन्फ्रास्ट्रक्चर इनिशिएटिव: भारत बांग्लादेश में अपने प्रोजेक्ट्स और आर्थिक निवेश को बढ़ा सकता है।
- रणनीतिक गठजोड़: भारत जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों के साथ अपनी इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी को तेज़ कर सकता है।