बलूचिस्तान में बढ़ती हिंसा और अलगाववादी गतिविधियां पाकिस्तान के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और अन्य बलूच अलगाववादी समूहों के हालिया हमले इस संघर्ष को और अधिक उग्र बना रहे हैं।
बलूचिस्तान: दूसरा बांग्लादेश?
बलूचिस्तान में दशकों से अलगाववादी आंदोलन चल रहा है, लेकिन हाल ही में इसके उग्र होने से यह बहस तेज हो गई है कि क्या बलूचिस्तान भी बांग्लादेश की तरह पाकिस्तान से अलग हो सकता है। 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना था, और अब बलूचिस्तान के हालात भी कुछ हद तक वैसे ही दिख रहे हैं—विशेष रूप से वहां हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन, सेना की दमनकारी कार्रवाई और स्थानीय लोगों का असंतोष।

क्या तालिबान से मिल रही है मदद?
पाकिस्तान का दावा है कि बलूच अलगाववादियों को अफगान तालिबान और भारत से समर्थन मिल रहा है, लेकिन कई विशेषज्ञ इससे इत्तेफाक नहीं रखते। पाकिस्तानी सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बलूच विद्रोही तालिबान की विचारधारा से प्रभावित नहीं हैं, बल्कि वे वामपंथी अलगाववादी संगठनों से प्रेरणा लेते हैं।
कुर्द विद्रोहियों से समानता?
पाकिस्तानी विश्लेषक आमिर राना का कहना है कि बलूच विद्रोही कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) से अधिक मिलते-जुलते हैं, जो तुर्की में दशकों से अलगाववादी संघर्ष चला रही है। PKK की तरह बलूच विद्रोही भी एक सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से अपनी स्वायत्तता या स्वतंत्रता चाहते हैं।
आगे क्या होगा?
- पाकिस्तान सरकार का बलूच विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई तेज करने की संभावना है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मुद्दा और अधिक चर्चा में आ सकता है, खासकर BLA जैसे संगठनों की आक्रामक गतिविधियों के कारण।
- अगर बलूच आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलता है, तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
बलूचिस्तान का संकट सिर्फ पाकिस्तान की आंतरिक समस्या नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है।