
भोपाल -गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष श्री इंजीनियर कमलेश तेकाम ने स्थानीय राजधानी के रेस्टोरेंट 9 मसाला रेस्टोरेंट में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया इस प्रेस वार्ता में श्री तेकाम ने कहा कि प्रदेश में आदिवासियों की स्थिति को देखते हुए हमारी पार्टी मेरे नेत्रत्व में संघर्ष करेगी और पेसा कानून ,इवीएम , जल जंगल जमीन महिलाओ पर हो रहे अन्याय अत्याचर एवं सरकारी खजाने को लूट रहे कर्मचारी अधिकारियो और भ्रष्ट नेताओ के खिलाफ गांव शहर ओर राजधानी मे जन समस्यो को लेकर जन आंदोलन कर जनता के पेसो का पाइ पाइ का हिसाब मांगेगी, जिससे गरीब मजदूर, किसान, मातृशक्तियो के मान सम्मान के लिये संघर्ष करेंगी।
आदिवासियों की अन्य समस्याओं को लेकर आंदोलन किए जाएंगे हम सरकार चाहते हैं कि वह आदिवासियों की जो भी मांग है उनको संवैधानिक तौर पर पूरा करें तथा आदिवासियों के प्रति प्रदेश में हो रहे अत्याचारों को गंभीरता से ले और उचित कानूनी कार्यवाही दोषीयो के खिलाफ करे । इस प्रेस वार्ता मे प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर कमलेश तेकाम साहित प्रदेश महासचिव बलवीर सिंह तोमर ,जन क्रातिकारी गोंडवाना नेता राधेश्याम काकोडिया, जिला पंचायत सदस्य व जिला अध्यक्ष मंडला ललिता धुर्वे ,प्रदेश सचिव सुरेश झारिया, प्रदेश संगठन सचिव एव्म प्र्देश सदस्यता प्रभारी सचिव तेज प्रताप उइके, जिला अध्यक्ष सिवनी गंगा मरावी ,प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सुक्कु बरकडे, जिला अध्यक्ष शहडोल श्री छत्रपाल सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे।

पार्टी के प्रति आभार
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तिरुमाल दादा तुलेश्वर सिंह मरकाम ने मुझे प्रदेशाध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा हैं। मैं पार्टी का एक साधारण सा कार्यकर्ता हूं, पेनवासी दादा हीरा सिंह मरकाम के महान आंदोलन का समर्पित सिपाही हूं। जो जिम्मेदारी मुझे दी गई हैं वो आप सब के आशीर्वाद और सहयोग से पूरा करने में अपना सब कुछ समर्पित कर दूंगा। किसी भी पार्टी का कार्यकर्ता ही उसकी असल पूंजी हैं, मैं नेता नहीं पार्टी एक सिपाही हूं और मैं पार्टी को सामूहिक नेतृत्व देने का वादा करता हूं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की रीति, नीति,विचार और सिद्धातों को आप सब के साथ मिलकर और अधिक मजबूत करने का भरकस प्रयास करूंगा। मध्यप्रदेश में रहने वाले आदिवासी समाज के साथ ही साथ इस अंचल में रहने वाले सभी वर्गों के लोगों को सरकार की उपेक्षाओं, भ्रष्टाचार और शोषण से निजाद दिलाने के लिए हम सब एक मंच पर मिलकर संघर्ष करेंगे और आदिवासी अंचल के विकास के लिए कार्य करेंगे।
समाज को मजबूती से संगठित किया जाएगा
आदिवासी समाज को जागरूक और एकजुट करने की दिशा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रदेश संगठन पूरी ताकत से काम करेगा। जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पूरी ताकत से लड़ेगी। प्रदेश में दिखावे के तौर पर लागू पेसा एक्ट को पूरी तरह से लागू करने की मांग की जाएगी।मैं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के मुखिया के तौर पर पार्टी और आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए कृत संकल्पित होकर कार्य करूंगा। आदिवासी समाज को जागरूक और एकजुट करने की दिशा में प्रदेश संगठन पूरी ताकत से काम करेगा। जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पूरी ताकत से लड़ेगी। आदिवासी क्षेत्रों में उपलब्ध खनिजों पर आदिवासियों को हक दिलाने। वनोपज पर आदिवासियों का अधिकार सुनिश्चित किए जाने हेतु प्रयास करेंगे।वर्तमान समय में प्रदेश में आदिवासी समाज की जनसंख्या कुल आबादी का 25 प्रतिशत है। विधानसभा में आदिवासी जनप्रतिनिधियों के लिए 25% स्थान आरक्षित कराए जाने का प्रयास किया जाएगा।
प्रदेश के 25% आदिवासियों के बिना कोई सरकार नहीं बना सकता
प्रदेश में आदिवासियों की जनसंख्या लगभग 2 करोड़ है। मध्यप्रदेश में आदिवासी मतदाता 21% से अधिक है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पिछले 35 वर्षों से आदिवासी समाज के बीच संघर्ष कर रही है, किंतु पार्टी को राजनीतिक सफलता नहीं मिल पाई, वर्तमान में प्रदेश में एक भी विधायक नहीं है। जबकि उत्तर प्रदेश में मात्र 15% दलित मतदाता है जिनकी एकता के कारण बसपा तीन बार सरकार बनाने में सफल रही। बसपा के उत्तर प्रदेश के मतदाताओं की एकजुटता के कारण आज राष्ट्रीय दल की श्रेणी में है। वही छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति की अच्छी खासी आबादी होने के बाद भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को विशेष सफलता नहीं मिल पाई है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस आदिवासी मतदाताओं को भ्रमित करने में सफल हो जाती है। आदिवासी क्षेत्रों की आरक्षित सीटों पर राष्ट्रीय पार्टियों से जितने वाले हमारे समाज के नेता समाज की बात कभी नहीं उठाते वे अपनी पार्टी लाइन पर काम करते है। यदि कारण है कि प्रदेश में आदिवासी समाज की कोई आवाज उठाने वाला नहीं है, कोई सुनने वाला नहीं है। प्रदेश में आदिवासियों का शोषण और उत्पीड़न चरम पर है।
नौकरियों की ठेका प्रथा और पलायन आदिवासियों के खिलाफ साजिश है
आदिवासी समाज दिनों दिन पिछड़ता जा रहा है। सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जन जाति वर्ग के आरक्षण का लाभ समाज को नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि अधिकांश नौकरियों ठेके और आउटसोर्सिंग के हवाले कर दी गई है। जिसका सबसे अधिक खमियाजा आदिवासी समाज के युवाओं को उठाना पड़ रहा है। आजादी के 75 साल बाद आदिवासी अंचल में लोगों अच्छे रोजगार के अवसर तो छोड़िए मजदूरी तक नहीं मिल पा रही है। मध्यप्रदेश के मजदूर अन्य प्रदेशों में जाकर मजदूरी कर रहे है। प्रदेश की सरकार मजदूरों का पलायन रोकने का प्रयास नहीं कर रही है। प्रदेश में मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। दूसरी ओर रोजगार गारंटी योजना में हमारे श्रमिकों के नाम पर करोड़ो रूपये का भ्रष्टाचार हो रहा है। इतने बड़े स्तर पर गांव गांव में भ्रष्टाचार व्याप्त है जिसके बाद भी जिला और प्रदेश प्रशासन दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर किसी तरह की कार्यवाही नहीं कर रहा है।